छत्रपति शिवाजी महाराज की तीन शिवकालीन चित प्रकाशित; इतिहासकार प्रसाद तारे का रिसर्च 

पुणे, 15 जून : महाराष्ट्र से दूर विदेश में छत्रपति शिवाजी महाराज की तीन समकालीन तीन तस्वीर रिसर्चर्स ने ढ़ूढ़ निकाली है।  यह तस्वीर 17वी शताब्दी की है।  भारत के दक्षिणी गोलकोंडा चित्रशैली में बनाई गई और मिनिएचर प्रकार की है।  भारत आये तत्कालीन यूरोपियन व्यापारियों के जरिये पहले यह यूरोप में हस्तांतरित हुआ और उसके बाद अलग-अलग वस्तु संग्रहालय में सुरक्षित रूप से रखा गया।  इस अप्रतिम कलाकृति का नजराना शिवछत्रपति के चित्रों के रिसर्चर इतिहासकार प्रसाद तारे ने किया है।

प्रसाद तारे ने इस संबंध में जानकारी दी है।  इस मौके पर भारतीय इतिहास के रिसर्चर मंडल के कार्यवाह पांडुरंग बलकवडे भी उपस्थित थे।  उन्होंने कहा कि शिव काल में भारत में कई प्रादेशिक चित्रशैली अस्तित्व में था।  इनमें से कुतुबशाह की राजधानी रही गोलकोंडा में प्रचलित चित्रशैली को गोलकोंडा चित्रशैली कहा जाता है।  महाराज दक्षिण भारत की लंबी मुहीम पर गए थे तब यह चित्र बनाया गया था या 1700 तक बनाया गया होगा।

तारे ने कहा कि इन चित्रों को म्यूजियम रिकॉर्ड में है।  यह चित्र महाराज की और 17वी शताब्दी की है।  यह दक्षिण गोलकोंडा शैली की है।  इनमे दो चित्रों में पर्शियन और रोमन लिपि में महाराज का नाम लिखा है।  चित्रों के चित्रकार अज्ञात है।
चित्रों में महाराज के शिरोभूषण, उस पर लगे तुरा, अंग वस्त्र, सुरवार व पांव में मोजड़ी है.