लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती : गजेंद्रसिंह शेखावत

पुुुणे : समाचार ऑनलाईन –  प्रकृति ने भारत में भरपूर पानी उपलब्ध कराया है, मगर बढ़ते औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के चलते पानी की कमी हो रही है। भूजल के पुनर्भरण की तुलना में निकाले जाने की मात्रा ज्यादा है। इस वजह से भविष्य में शुद्ध पानी उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण कार्य साबित होगा।फ यह राय केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने व्यक्त की।  वे खड़कवासला स्थित केंद्रीय जल अकादमी में वाटर इंजीनियरिंग सर्विस के 31वें प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम में केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष अरुणकुमार सिन्हा, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के सचिव उपेंद्रप्रसाद सिंह एवं राष्ट्रीय जल अकादमी के चीफ इंजीनियर योगेश पैठणकर उपस्थित थे। 22 सप्ताह तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देशभर के 44 प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए हैं।

राजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा, जिन जगहों पर पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है, उन जगहों का विकास हुआ है, मगर औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण में तेजी से वृद्धि के चलते जलस्त्रोत कम हो रहे हैं। दुनिया की आबादी में 18% हिस्सा भारत का है। इसके चलते यहां पानी संकट की समस्या चुनौती बन गई है। अपना देश पानी को ईश्वर मानता है। यहां प्रति वर्ष औसतन 1,068 मिलीमीटर बारिश होती है। देश के विकास के लिए पानी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। राष्ट्र की प्रगति के लिए पानी की बचत करना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि कई देशों में पानी के प्राकृतिक स्त्रोत बहुत कम हैं। उनकी तुलना में भारत में जलस्त्रोतों की संख्या ज्यादा है। औद्योगिक क्षेत्र में पानी का उपयोग कम होना चाहिए। देश में 90% पानी का उपयोग खेती के लिए किया जाता है। पानी के अभाव में मौत की घटनाएं भी घट चुकी हैं। केंद्र सरकार सभी घरों तक पानी पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इसके चलते पानी की बचत हेतु जन-आंदोलन जरूरी है। ङ्गजल शक्ति अभियानफ इसी का एक हिस्सा है। पानी के प्रबंधन के लिए युवा नए कॉन्सेप्ट्स विकसित करें। ङ्गफाइव ट्रिलियन इकोनॉमीफ की दिशा में बढ़ने के लिए पानी का उचित प्रबंधन, जलस्त्रोतों का संवर्धन व सुरक्षा तथा पानी बचत की योजनाएं चलाई जानी चाहिए।