हरियाणा की जेलों में होगी जीरो बजट खेती, कैदियों को मिलेगा प्रशिक्षण

रोहतक, 5 फरवरी (आईएएनएस)| : हरियाणा प्रदेश की सभी जेलों में अब जीरो बजट प्राकृतिक खेती की जाएगी। रोहतक जिला कारागार से इस अभियान का शुभारंभ गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत व हरियाणा के बिजली एवं जेलमंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने की। आचार्य देवव्रत ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि रोहतक जेल में बंदियों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। बंदियों ने बड़े ध्यान से इस प्रशिक्षण में रुचि ली और उन्हें उम्मीद है कि जब लोग अपने घरों को लौट आएंगे तो अपने गांव में घरों में जीरो बजट खेती को अपनाकर आय बढ़ाने का काम करेंगे।

आचार्य देवव्रत ने मंगलवार को बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक कृषि, जैविक कृषि से बिल्कुल अलग है। जैविक कृषि का आधार गोबर व केंचुए की खाद है। फसलों में पौषक तžवों की जरूरत को पूरा करने के लिए बहुत अधिक गोबर या केंचुए की खाद की जरूरत पड़ती है जो किसी भी किसान के लिए संभव नहीं है। जैविक कृषि में धानए गेहूं व मक्का जैसी फसलों की पौषक तžवों की पूर्ति के लिए एक एकड़ की खेती में 20.25 पशुओं की आवश्यकता है, जबकि जीरो बजट प्राकृतिक कृषि में एक देशी गाय से 30 एकड़ की खेती संभव है।

इसके अतिरिक्त केंचुए की खाद तैयार करने के लिए केंचुए की जो प्रजाति (आइजेनिया फोटिडा) प्रयोग की जाती है वह मिट्टी नहीं खाती और न ही भूमि में सुराख करके उसे प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाती है, बल्कि यह तो केवल गोबर और काष्ठ पदार्थ का ही भोजन के रूप में प्रयोग करती है।

इसके विपरीत देशी केंचुए यह सारा काम स्वयं करते हैं और नीचे की सतहों से पौषक तत्वों को खाकर पौधों की जड़ों तक पहुंचाते हैं। इससे भूमि की भौतिकए रासायनिक व जैविकी गुणों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। देशी गाय के गोबर, गोमूत्र और देशी केंचुए की इन गतिविधियों को गुरुकुल कुरुक्षेत्र के कृषि फार्म पर स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।

विश्व स्तर पर वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि केंचुए की खाद तैयार करने वाला विदेशी केंचुआ भारी तžवों (हैवी मैटल) जैसे निकिल, पारा, लैड, क्रोमियम आदि की मात्रा को भूमि में बढ़ाता है और पौधों को उपलब्ध कराता है जो मनुष्य सहित दूसरों जीवों के लिए अत्यंत घातक है।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि जीरो बजट खेती से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होने का लक्ष्य पूरा होगा। आचार्य देवव्रत ने जेलों में जीरो बजट प्राकृतिक खेती आरंभ करने का श्रेय बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह को देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से ही जेलों में इस अभियान की शुरुआत हो पाई है।

उन्होंने कहा कि चौधरी रणजीत सिंह ने जेलों के माध्यम से जैनों के माध्यम से इस मिशन को सबसे पहले आगे बढ़ाने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी जीरो बजट खेती की सराहना की है और राज्य सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पचास हजार किसान गुजरात में डेढ़ लाख किसान तथा आंध्र प्रदेश में पांच लाख किसान इस पद्धति के साथ जुड़ चुके हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने इस खेती को अपनाया है।

उन्होंने कहा कि 12 मार्च को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में जीरो बजट खेती को लेकर एक दिवसीय बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के अलावा कृषि मंत्री जेपी दलाल व विधायक भाग लेंगे। इसके अलावा एक अप्रैल से 5 अप्रैल तक गुरुकुल कुरुक्षेत्र में पांच दिवसीय आवासीय शिविर भी आयोजित किया जाएगा जिसमें करीब 12 हजार किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कहा कि जेलों के माध्यम से एक लिंक मिल गया है जो गांव तक जीरो बजट प्राकृतिक खेती के मिशन को पहुंचाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि रोहतक जेल में जीरो बजट प्राकृतिक खेती का कार्य आरंभ हो चुका है और प्रदेश की सभी जेलों में कैदियो द्वारा यह खेती की जाएगी।

चौधरी रणजीत सिंह ने रोहतक जेल में ट्रैक्टर कृषि यंत्र खरीदने के लिए 11 लाख रुपये की अनुदान राशि देने की भी घोषणा की। जेल में आयोजित कार्यक्रम में डीजीपी जेल के. सल्वराज तथा आईजी जेल जगजीत सिंह तथा प्रदेश की 12 जिलों के जेल अधीक्षक मौजूद थे।

इस दिशा में पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है। जीवनभर शोध करने के बाद उन्होंने जहरमुक्त खेती का अत्यंत प्रभावी मॉडल प्रस्तुत किया है जिसका नाम है ‘जीरो बजट प्राकृतिक कृषि’। यह देशी गाय पर आधारित खेती की ऐसी पद्धति है जिसमें एक देशी गाय से 30 एकड़ की खेती की जा सकती है। इसी पद्धति से पिछले 10 वर्षों से गुरुकुल कुरुक्षेत्र में करीब 200 एकड़ भूमि पर धानए गेहूं, गन्ना, चना सहित आलू, गोभी, टमाटर, बैंगन, गाजर आदि सब्जियों की न केवल जहरमुक्त खेती दी जा रही है, बल्कि उत्पादन भी रासायनिक और जैविक खेती करने वाले किसानों से अधिक ले रहे हैं।