ISRO मिशन 2.0 के जरिए नया कीर्तिमान रचने को तैयार

चेन्नई (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम अब मिशन 2.0 मोड पर है, जिसमें मानव अंतरिक्ष मिशन, अंतग्र्रहीय मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और यहा तक कि अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होना की कोशिश करना भी प्रासंगिक है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 62 वर्षीय अध्यक्ष कैलासादिवु सिवन शांत सभाव के आदमी हैं। आंध्र प्रदेश के रॉकेट पोर्ट श्रीहरिकोटा में इसरो के दूसरे चंद्र अभियान, चंद्रयान-2 की प्राप्ति के लिए भी भारी गतिविधि जारी है। भारी लिफ्ट रॉकेट को ‘बाहुबली’ का उपनाम देते हुए सिवन कहते हैं कि ‘वह शांत है।’

सिवन ने आईएएनएस से कहा, “मैं तनाव में नहीं हूं। मेरे परिजनों ने भी मुझमें कोई बदलाव नहीं देखा है। लेकिन हर कोई जानता है कि चंद्रयान-2 को लांच किया जाना कितना महत्वपूर्ण है और इसे लेकर मेरे परिवार के सदस्यों में भी चिंता है।”

पहले चंद्रमा मिशन, ‘चंद्रयान-1’ के दौरान भी जब रॉकेट को ईंधन देते समय रिसाव हुआ था, यह सिवन ही थे, जिन्होंने गणना की, संभावित गिरावट की भविष्यवाणी की और गारंटी दी कि एक सफल मिशन के लिए पर्याप्त मार्जिन मौजूद है।

सिवन उस वक्त विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) में समूह निदेशक और मार्गदर्शन व मिशन सिमुलेशन का पद संभाल रहे थे।

हड़बड़ाहट के साथ चंद्रमा पर उतरने, मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारी और अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के बारे में ऐसी भयंकर गतिविधियों के घोषणा कर, क्या इसरो अमेरिका, रूस, चीन और अन्य जैसे अन्य प्रमुख अंतरिक्ष दूर देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होने की कोशिश कर रहा है?

इसके जवाब में सिवन ने कहा, “इन सभी वर्षो में हमने विक्रम साराभाई के स्वप्नों के अनुरूप कार्य करने का प्रयत्न किया है।”

सिवन ने कहा, “उनका मानना था कि आम आदमी के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है और देश के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना एक बेहतरीन कार्य रहा है।”

उनके अनुसार, देश ने अपने रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण की क्षमता विकसित की है और संचार, जलवायु पूर्वानुमान जैसी अन्य सेवाएं दी हैं।

सिवन ने टिप्पणी की, “हम अब साराभाई द्वारा बोए गए बीजों की फसल काट रहे हैं। अब हमें भावी पीढ़ी के लिए बीज उपलब्ध कराना और बोना है। यह विजन/मिशन 2.0 है और हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में दूसरे अन्य उन्नत देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होना है।”

चंद्रयान -2 मिशन से सीख/लाभ पर, सिवन ने कहा, “लैंडर-विक्रम और रोवर प्रज्ञान के लिए तकनीक नई हैं। थ्रोटेबल इंजन भी नया है।”

उन्होंने कहा, “वातावरण की अनुपस्थिति में, विक्रम की लैंडिंग वेरिएबल ब्रेकिंग द्वारा की जाएगी। हमने चंद्रयान-2 मिशन में बहुत सारे सेंसर का भी इस्तेमाल किया है। नियंत्रण, नेविगेशन तकनीक भी नई है।”

विज्ञान के मोर्चे पर, प्रज्ञान द्वारा चंद्रमा पर इन-सीटू प्रयोग करना भी भारत के लिए एक नई तकनीक है।