चुनाव परिणामों का राजनीतिक असर…. विपक्ष को मिला ऑक्सीजन, भाजपा की आस टूटी 

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : चार राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनाव नतीजे रविवार को घोषित हो गए। इन चुनावों में जहां भाजपा की पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने की आस अधूरी रह गई, वहीं दक्षिणी राज्यों में भी उसके कद बड़ा करने की मनोकामना पूरी नहीं हो सकी। असम में भाजपा  अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही, जबकि केरल में अपनी सत्ता बचाकर वाम मोर्चे ने राज्य में हर पांच साल में परिवर्तन की परंपरा पर विराम लगाने का इतिहास रचा। तमिलनाडु में द्रमुक की अगुआई वाले विपक्षी गठबंधन और पुडुचेरी में विपक्षी एनडीए को सत्ता देकर मतदाताओं ने परिवर्तन का बिगुल बजाया।

पश्चिम बंगाल में ममता :

जीत की हैट्रिक के साथ ही ममता राष्ट्रीय राजनीति में भी अपना सियासी कद बड़ा करने में कामयाब रही हैं, तो विपक्ष को ऑक्सीजन मिलता नजर आया है। इन चुनावों में ममता बनर्जी अगर तृणमूल का चेहरा थीं तो बीजेपी का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि असल में पूरे चुनाव में टर्निंग पॉइंट वीलचेयर में टूटे पैर के साथ ममता बनर्जी की वह तस्वीर रही। जिस तरह से ममता ने घायल होने के बाद प्रचार किया उससे न सिर्फ उनकी छवि और मजबूत हुई बल्कि उन्हें सहानुभूति वोट बटोरने में भी सफलता मिली।

असम में कांग्रेस फेल :

असम में कांग्रेस को उम्मीद थी कि सीएए के खिलाफ हुए आंदोलनों, चाय बागानों के मजदूरों की नाराजगी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से उसे राजनीतिक मदद मिलेगी लेकिन नतीजों ने उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बीजेपी के ध्रुवीकरण के आगे AIUDF के जरिए मुस्लिम वोट एक साथ करने की कोशिश भी फेल रही।

केरल में टूटी परंपरा :

हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन केरल की राजनीतिक परंपरा बन गई थी। लेकिन इस बार वाम दलों के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने करीब चार दशक से चली आ रही इस परंपरा को तोड़कर अपनी सत्ता बरकरार रखने का इतिहास रच दिया।  अब देश में केरल ही इकलौता राज्य है, जहां वाम दलों की सरकार बची है।

तमिलनाडु में सत्ता परिवर्तन :

तमिलनाडु में एमके स्तालिन के नेतृत्व में द्रमुक ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक को करारी शिकस्त दी है। इससे सत्ताधारी दल के सत्ता में वापसी करने की परंपरा भी टूट गई है। द्रमुक को 234 सीटों में से अन्नाद्रमुक (80) के मुकाबले 121 पर जीत मिली है, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 16 सीट हासिल की हैं।

पुडुचेरी में कांग्रेस को झटका :

कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस को पुडुचेरी में सत्ता गंवानी पड़ी, तो उसकी असम और केरल में सत्ता में वापसी के उसके अरमानों पर भी ग्रहण लग गया। पार्टी की अगुवाई वाले गठबंधन को पश्चिम बंगाल में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।