राज्य का राजनीतिक घटनाक्रम राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा

मुंबई, 7 नवंबर – शिवसेना के बिना सरकार नहीं बनानी है. यह भूमिका भाजपा ने ली है. कांग्रेस और राष्ट्रवादी की तरफ से अभी तक शिवसेना को हरी झंडी नहीं मिलने से सत्ता संघर्ष का पेंच और कठिन हो गया हैं. राज्य की मौजूदा स्थिति राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रही है. क्या होगा? इस बड़ी उत्साह की जगह अब कुछ भी हो सकता है ने ले ली है. मुख्यमंत्री देवन्द्र फडणवीस ने  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस  ) के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत से मंगलवार की रात मुलाकात करने के बाद भाजपा की रणनीति की दिशा निश्चित हो गई है. डॉ. मोहन भागवत ने स्पष्ट कर दिया है कि  शिवसेना साथ आए तभी सरकार बना. सत्ता के लिए राष्ट्रवादी या किसी पार्टी विरोधी से समर्थन लेकर जोड़तोड़ नहीं करे. अप्राकृतिक गठबंधन नहीं करे. राष्ट्रपति शासन की नौबत आई तो उसके लिए भी तैयार रहे.

  महायुति के बिना वह किसी भी विकल्प पर विचार नहीं करेगी भाजपा  
भाजपा के सीनियर नेता सुधीर मुनगंटीवार ने स्पष्ट किया है कि राज्य में ,महायुति की सरकार बनेगी, कोई कुछ भी बोल ले लेकिन होगा वही. उन्होंने साफ कर दिया की महायुति के बिना वह किसी भी विकल्प पर विचार नहीं करेगी। भाजपा की कोर कमेटी की बैठक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के वर्षा निवास पर हुई. इस बैठक में कहा गया कि शिवसेना साथ नहीं  आई तो सरकार नहीं बनानी है.
भाजपा-शिवसेना सरकार बनाये 
राष्ट्रवादी के अध्यक्ष शारद पवार ने कहा है कि भाजपा-शिवसेना जल्द राज्य में सरकार बनाये। हम जिम्मेदार विरोधी दल के रूप में काम करेंगे। लेकिन शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के कई विधायक उत्सुक है. कांग्रेस विधायकों का मानना है कि शिवसेना को बाहर से समर्थन दिया जाये लेकिन भाजपा को किसी कीमत पर सरकार में नहीं आने दिया जाये। ऐसी स्थिति में शिवसेना कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस की मदद से मुख्यमंत्री पद हासिल कर सकती हैं. कांग्रेस के राज्य प्रभारी मलिक्कार्जुन खड़गे बुधवार की रात मुंबई पहुंचकर चर्चा की. अब कांग्रेस अपना रुख साफ करेगी।

 

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