गुनहगारों पर शिकंजा कसने में पुलिस हो रहे नाकाम, बढ़ रहे हत्या के मामले

पिंपरी | समाचार ऑनलाइन 

मोहन दुबे

पिंपरी चिंचवड़ शहर में नये आयुक्तालय के उद्घाटन के बाद कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ चुकी है। शहर में ना तो महिलांए सुरक्षित है और ना ही अन्य नागरिक। पिंपरी चिंचवड़ शहर में आये दिन हत्या और दुष्कर्म की घटनाएं लगातार हो रही है।  इससे पुलिस प्रशासन का नाम ख़राब हो रहा है। लेकिन पुलिस इस मामले में मनुष्यबल और गाड़ियों की संख्या कम बताकर अपना बचाव करते दिख रहे है। बदमाशो का आतंक इतना बढ़ गया है कि, आये दिन शहर में खुलेआम हत्या, मारपीट व लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे है। हालही में भोसरी परिसर में पुराने विवाद को लेकर एक रिक्शा चालक की हत्या करने का मामला सामने आया है।

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पिंपरी चिंचवड़ शहर को उद्योग नगरी से जाना जाता है।  कई राज्यों से लोग यहां आकर कंपनियों में काम कर अपना गुजारा करते है। आयटी पार्क होने की वजह से इस शहर का स्तर और भी उच्च हो गया है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से शहर में बढ़ते अपराधों को देखकर शहर की काफी चर्चा की जा रही है। इस शहर की जनसंख्या  22 लाख से भी ज्यादा है।

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जनसंख्या ज्यादा होने व शहर में बढ़ता क्राइम रेट को देखते हुए 15 अगस्त को यहां नये आयुक्तालय की स्थापना की गयी। लेकिन आयुक्तालय के स्थापना के बाद न क्राइम कम हुआ बल्की शहर में गुंडागर्दी , हत्या और अत्याच्यार के मामले में बढ़ोतरी हुई।  इन घटनाओं पर रोक लगाने में पुलिस कमजोर पड़ती दिख रही है।  सच बात यह भी है कि, पुलिस के पास मनुष्यबल की कमी होने के कारण पुलिस अपराधों व आरोपियों पर शिकंजा कसने में नाकाम हो रहे है। मनुष्यबल और पेट्रोलिंग वाहनों की कमी होने के कारण बार-बार शहर पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे है।

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पिंपरी चिंचवड़ शहर के नये आयुक्त आर के पद्मनाभन ने सुरक्षा को लेकर शहर को एक बार दिलासा दिया था। जिसमे उन्होंने  ‘ फोनों फ्रेंड ‘ एप लॉन्च किया था।

पुलिस ने ‘ फोनों फ्रेंड ‘ का मतलब पुलिस आपके घर बताया था। लेकिन इस एप को पुलिसकर्मियों ने ही सीरियसली नहीं लिया। मदद मांगने के लिए कंट्रोल रूम कॉल करने पर ना तो पुलिस आती है और न ही कोई मदद मिलती है। ऐसे में नए पुलिस आयुक्त शहर को कैसे अपराधियों से मुक्त करेंगे ? सवाल यह खड़ा होता है।

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15 अगस्त के बाद कि बात करे तो, शहर को सुन्न करने वाली कई घटनाएं घटी है। हिंजवड़ी परिसर में नाबालिग के साथ बलात्कार, पिंपरी परिसर में चार साल की बच्ची की हत्या, या फिर पुराने विवाद को लेकर हमले ऐसे कई घटनाएं घटी है। इनमे से कई मामलों के आरोपी अब भी आजाद घूम रहे है।

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वही दूसरी ओर शहर में बढ़ते अवैध धंदो के किस्से काफी चर्चा में है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से आरोप  लगाया गया है कि, पुलिस के बदौलत कई जगह अवैध धंदे धड़ल्ले से चलाया जा रहा है। ऐसे में शहर सुरक्षित और अपराधियों से मुक्त शहर कैसे बन सकता है। इस बात की चिंता शहर के जनता को सता रही है। ऐसे में पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था को किस तरह से काबू में कर पायेगा।

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