पीएमपीएमएल के नए प्रयोग से ईंधन खर्च में 20 लाख की बचत हुई

पुणे : समाचार ऑनलाईन – अच्छा मेन्टेनेंस, ड्राइवर्स व मैकेनिक प्रशिक्षण के बाद बस की स्थिति अच्छी हो सकती है। इस पर पीएमपीएमएल द्वारा किए गए प्रयोग से साबित हो गया है। पेट्रोलियम कन्जरवेशन रिसर्च एसोसिएशन (पीसीआरए) की टीम ने पिछले 6 महीनों में करीब 160 बसों का मेन्टेनेंस व प्रशिक्षण का कार्य हाथों में लिया था। उससे करीब 20 लाख रुपए के ईंधन खर्च की बचत हुई है। इस प्रयोग से पीएमपी द्वारा किए जाने वाले मेन्टेनेंस का कामकाज भी उजागर हो गया।

पीसीआरए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था है। केंद्रीय गृहनिर्माण मंत्रालय व विश्व बैंक के सहयोग से देश में एनर्जी सेक्टर मैनेजमेंट असिस्टेंटन्स प्रोग्राम (ईएसएमएपी) नामक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है। उसके लिए विश्व बैंक ने आर्थिक सहायता भी की है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत पीएमपी का चयन किया गया है। बसों का मेन्टेनेंस, ड्राइवर-मैकेनिक-अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर ईंधन बचत करने पीसीआरए अधिकारी पिछले 6 महीनों से पुणे में हैं। इस टीम को मार्केटयार्ड व कात्रज डिपो की 75 व 85 बसों की जिम्मेदारी दी गई थी। यह सभी बसें 9 से 10 वर्ष पुरानी थीं।

पिछले 6 महीनों में उन्होंने उन बसों के मेन्टेनेंस पर ध्यान केंद्रित किया गया था। ईंधन बचत के लिए जरूरी उपायों के बारे में उन्होंने ड्राइवर, मैकेनिक और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया। इसका पॉजेटिव परिणाम दिखाई दे रहा है। संबंधित बस का प्रति लीटर एवरेज बढ़ने से ईंधन में बचत होने लगी है। पिछले 6 महीनों में मार्केटयार्ड व कात्रज डिपो में 11 लाख व 9 लाख रुपयों का ईंधन खर्च बचा है। यह जानकारी पीएमपी की सीएमडी नयना गुंडे ने दी। उनके प्रयास से इस प्रयोग पर अमल जारी है। अगले 6 महीनों में कोथरुड, हड़पसर, पुणे स्टेशन व स्वारगेट डिपों में यह टीम कार्य करेगी।

बसों का समय पर मेन्टेनेंस करने में पीएमपी के पीछे रहने की वास्तविकता को अधिकारियों ने कई बार मान्य भी किया है। पुरानी बसों के कारण मेन्टेनेंस में बाधा आती है।लेकिन पीसीआरए की टीम ने 9 से 10 वर्ष पुरानी बसों की जिम्मेदारी स्वीकार कर ईंधन बचत की है। इस प्रयोग से ब्रेकडाउन कम होने के साथ रूट पर बसों की संख्या बढ़ गई है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि पीएमपी द्वारा बसों के मेन्टेनेंस में उचित ध्यान नहीं दिया जाता।