PMAY-Pune Corporation | प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मनपा पीपीपी के तहत घर उपलब्ध कराएगी, जाने 

पुणे (Pune News), 18 अगस्त : PMAY-Pune Corporation | प्रधानमंत्री आवास योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (Pradhan Mantri Awas Yojana Public Private Partnership) (पीपीपी ) के आधार पर मनपा प्रशासन (Municipal Administration) को नागरिकों को घर बनाकर देना है।  लेकिन इस संदर्भ में टेंडर व सभी प्रक्रियाओं को स्थाई समिति व जनरल बॉडी से मंजूरी लेने की उपसूचना के साथ शहर के विभिन्न क्षेत्रों में आम नागरिकों के लिए पीपीपी (PMAY-Pune Corporation) के तहत तैयार होने वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट (housing project) के प्रस्ताव को मंगलवार को जनरल बॉडी सभा में मंजूरी दे दी गई।

 

प्रधानमंत्री आवास योजना (Prime Ministers Housing Scheme) के तहत शहर में जिनका कही भी घर नहीं है ऐसे नागरिकों के लिए  सस्ती कीमत पर घर बनाया जा रहा है।  मनपा ने इससे पहले हड़पसर, वडगाव परिसर में मनपा के खर्च से 2 हज़ार 900 घर बनाये  जा रहे है।  लेकिन इस पर भारी खर्च हो रहा है।  केंद्र सरकार (Central Government) के एक दूसरे मॉडल के अनुसार पीपीपी के तहत फुरसुंगी, लोहगांव, बालेवाड़ी, बाणेर, कोंढवा बुद्रुक व धनोरी में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के निर्णय प्रशासन ने लिया है।  इस योजना के अमल के प्रस्ताव में सभी अधिकारी मनपा आयुक्त को देने  जिक्र किया गया है।

इसका राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना और कांग्रेस ने विरोध किया है। मनपा (Municipal Corporation) की जमीन होते हुए सभी अधिकार केंद्रित किए जाने से भविष्य में दिक्कत पैदा होने की आशंका नगरसेवकों ने  जताई है।  साथ ही पूछा गया है कि अपनी जमीन बिल्डर की जेब में क्यों डालना हैं ? उसे सस्ती घर देकर क्या लाभ मिलेगा ?

इस पर स्पष्टीकरण देते हुए मनपा आयुक्त विक्रम कुमार (Municipal Commissioner Vikram Kumar) और सिटी इंजीनियर प्रशांत वाघमारे (City Engineer Prashant Waghmare) ने कहा है कि मनपा के जरिये प्रधानमंत्री आवास योजना लागू करने में काफी खर्च हो रहा है।  साथ ही इस योजना के लाभार्थियों को बैंक (Bank) से कर्ज उपलब्ध कराने, उनके  डॉक्युमेंट्स की छटाई करने और प्रत्यक्ष रूप से काम पर ध्यान देने के लिए काफी कर्मचारियों की जरुरत होगी।  इसलिए पीपीपी के तहत योजना को आगे बढ़ाते हुए आवेदन को जमा करना, लॉटरी निकालना का काम मनपा को करना होगा।

इस योजना के तहत सभी जमीन डेवलपर्स को 30 वर्ष के किराये पर दी जाएगी।  इसलिए सारी प्रक्रिया पर मनपा का नियंत्रण रहेगा।

आयुक्त के स्पष्टीकरण के बाद विरोधियों ने इस योजना का सर्वाधिकार आयुक्त की बजाय जनरल बॉडी को देने की उपसूचना दी. इस उपसूचना के साथ प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया।

 

 

 

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