बरही: समाचार ऑनलाइन- आज कर्नाटक के लोगों ने सुनिश्चित कर दिया है कि अब कांग्रेस और JDS वहां के लोगों के साथ विश्वासघात नही कर पाएँगे. अब कर्नाटक में जोड़-तोड़ वाली नहीं, बल्कि वहां की जनता ने एक स्थिर और मजबूत सरकार को ताकत दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा है कि जनता ने भाजपा को नई ताकत दी है।
PM Modi in Hazaribagh, Jharkhand: Aaj Karnataka ke logon ne sunishet kardiya hai ki ab Congress & JDS wahan ke logon ke saath vishwasghat nahi kar paayegi. Ab Karnataka mein jod-tod wali nahi, wahan ki janta ne ek sthir aur mazboot sarkar ko taqat de di hai. pic.twitter.com/rdnk5EW0wv
— ANI (@ANI) December 9, 2019
मोदी यही नहीं रुके उन्होंने शिवसेना के बाद कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कर्नाटक की जनता का जनादेश जीत गया है. अब कांग्रेस लोगों को धोखा नहीं दे पाएगी. यह संदेश पूरे देश में गया है कि जो जनता की पीठ पर छुरा घोंपता का प्रयत्न किया है, मौका मिलते मिलते ही जनता उसे सबक सिखाती है. जनता ने भाजपा को नई ताकत दी है.
झारखंड के बरही में आयोजित एक रैली में मोदी बोल रहे थे. नरेंद्र मोदी ने कहा कि दक्षिण भारत में भाजपा कमजोर है, ऐसा कहा जाता है. लेकिन कर्नाटक में हुए उपचुनाव के परिणाम ने ऐसा कहने वालों को जवाब दे दिया है। जनता की राय को खारिज करके पिछले दरवाजे पर सरकार बनाने वालों को लोगों ने सबक सिखाया है। मोदी ने कहा कि, लगातार यह सवाल किया जा रहा था कि क्या उपचुनावों में भाजपा सरकार बनी रहेगी या जाएगी? इसका जनता ने जवाब दिया है.
#WATCH PM Modi #KarnatakaByelection: What the country thinks about political stability and for political stability how much the country trusts BJP, an example of that is in front of us today… BJP is leading on most seats. I express my gratitude towards people of Karnataka. pic.twitter.com/k1Ho75Xmse
— ANI (@ANI) December 9, 2019
भाजपा ने कर्नाटक उप-चुनावों में अपनी पहली जीत दर्ज की है. भाजपा ने 15 में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की है. भाजपा ने येल्लापूर सीट 31 हजार वोटों से जीती है। इन 12 सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों को मैदान में उतारा था, जिससे भाजपा को फायदा हुआ है।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में सत्ता संघर्ष का खेल महाराष्ट्र की तरह ही खेला गया था। येदियुरप्पा ने दो साल पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जिस तरह देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि, संख्या की कमी के कारण उन्हें भी फडणवीस की तरह इस्तीफा देना पद गया था।
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