कोरोना काल में निजी अस्पतालों द्वारा लूटखसोट जारी

बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर मनपा ने गठित किये क्षेत्रीय कार्यालयवार 8 दस्ते
पिंपरी। महामारी कोरोना के दूसरे चरण में भी निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के परिजनों से लूटखसोट शुरू किए जाने की शिकायतें बढ़ रही हैं। इसके मद्देनजर पिंपरी चिंचवड़ मनपा ने निजी अस्पतालों की शुल्क निर्धारण प्रक्रिया, बेड की उपलब्धता, रोजमर्रा के एडमिशन और डिस्चार्ज, मेडिकल बिल आदि का अंतिम लेखा परीक्षण करने मे फैसला किया है। इस कड़ी में मनपा के आठ क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर दस्ते गठित किये गए हैं जोकि मनपा के मुख्य लेखा परीक्षक आमोद कुंभोजकर, जिन्हें नियंत्रण प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया है, के नियंत्रण में कार्यरत रहेंगें।
मनपा क्षेत्र में कोरोना वायरस का संक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। मरीजों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए मनपा स्तर पर कई उपाय किए जा रहे हैं। मनपा ने सौ से अधिक निजी अस्पतालों को कोविद अस्पतालों के रूप में अनुमति दी है। मनपा आयुक्त राजेश पाटिल ने मनमाने और गैर-कानूनी बिलों के ऑडिट के लिए एक स्वतंत्र ऑडिट यंत्रणा स्थापित करने और स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों द्वारा प्राप्त बिलों के निवारण और कोरोना रोगियों के उपचार के लिए समर्पित निजी अस्पतालों के लिए एक रणनीतिक निर्णय लिया है। निजी अस्पतालों द्वारा मेडिकल बिलों को लेकर की जानेवाली मनमानी को नियंत्रित करने और मनपा भुगतान के पूर्व-अंतिम ऑडिट करने के लिए निगम के आठ क्षेत्र कार्यालयों के क्षेत्राधिकार के तहत अस्पतालों की संख्या को देखने के लिए क्षेत्र स्तर पर एक आठ-सदस्यीय टीम का गठन किया गया है।
इन टीमों में सीनियर मेडिकल ऑफिसर, अकाउंट्स ऑफिसर, अकाउंटेंट, डिप्टी अकाउंटेंट, चीफ क्लर्क, क्लर्क, जूनियर इंजीनियर नियुक्त किए गए हैं। लेखा अधिकारी किशोर शिंज, पद्माकर कानिटकर, तकनीकी मामलों के उप अभियंता दीपक पाटिल और संजय काशिद को समन्वयक अधिकारी नियुक्त किया गया है। इन समन्वय अधिकारियों को मुख्य लेखा परीक्षक के साथ-साथ नियंत्रण प्रमुख अमोद कुंभोजकर को कार्य की रिपोर्ट करनी होगी। निजी अस्पतालों को इस बात का पूर्व सत्यापन करना होगा कि बिल सरकारी दर पर लगाया गया है, पहले ड्राफ्ट बिल जारी होने के बाद अस्पताल की जाँच करें, साथ ही अस्पतालों के ऑडिट करने के बाद मरीज को अंतिम बिल का भुगतान करने का निर्देश दें। निजी अस्पतालों द्वारा लगाए गए सभी भुगतानों को एक नियुक्त टीम द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिए, अगर बिलों में कोई त्रुटि है, तो इसे मौके पर ही ठीक किया जाना चाहिए, ऐसे बिलों का ऑडिट करते समय मामलों को लंबित नहीं रखा जाना चाहिए। भविष्य में, यदि चिकित्सा विभाग से कुछ नए निजी अस्पतालों का अधिग्रहण किया जाता है, तो ऐसे अस्पतालों का कामकाज संबंधित क्षेत्र के कार्यालयों के दस्ते द्वारा देखा जाएगा।