करवृद्धि से पिंपरी चिंचवड़ शहरवासियों को मिली राहत

पिंपरी। सँवाददाता- पानी के ज्यादा इस्तेमाल पर लगाम कसने और आयवृद्धि के उद्देश्य से पिंपरी चिंचवड़ मनपा प्रशासन ने संपत्ति कर और पानीपट्टी (वॉटर बिल) में भारी वृद्धि सुझाई थी। नए वित्त वर्ष 2020-2021 से यह करवृद्धि लागू करने की कोशिशें जारी थी। हालांकि मनपा की स्थायी समिति ने इस करवृद्धि के प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया। इससे शहरवासियों को बड़ी राहत मिली है, यह जानकारी स्थायी समिति सभापति विलास मडिगेरी ने संवाददाताओं को दी।
समन्यायी जल वितरण के लिए ज्यादा पानी इस्तेमाल पर नियंत्रण लाने के लिए प्रशासन ने पानीपट्टी में दरवृद्धि प्रस्तावित की है। इसके अलावा हर साल सभी प्रकार की दरों में पांच फीसदी वृद्धि भी प्रस्तावित की गई है। दरवृद्धि के प्रस्ताव में छह हजार लीटर पानी मुफ्त देने की बात कही गई है। हालांकि उससे ज्यादा यानी 6 से 15 हजार लीटर पानी इस्तेमाल पर आठ रुपये, 15 से 20 हजार लीटर तक पानी इस्तेमाल के लिए 40 और 20 हजार लीटर से ज्यादा पानी के इस्तेमाल के लिए 100 रुपए दर निश्चित किये गए हैं।
व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए 55 रुपये का दर पानीपट्टी के लिए तय किया गया है। इसके अलावा निजी शैक्षिक संस्थानों, होस्टल, सरकारी, अर्ध सरकारी कार्यालयों, रेलवे स्टेशनों, ईएसआईसी हॉस्पिटल, ऑटो क्ल्स्टर, औंध हॉस्पिटल आदि को प्रति हजार लीटर के लिए 17 रुपए का दर सुझाया गया है। धार्मिक स्थलों, अनाथाश्रम, वृध्दाश्रमों के लिए 11 रुपये, स्टेडीयम के लिए 22 रुपये, मनपा इमारतों को 11 रुपये, देहुरोड कँन्टोन्मेंट बोर्ड के लिए 11 रुपये दर सुझाई गई है। इस दरवृद्धि से 35 करोड़ रुपए की आयवृद्धि की उम्मीद थी।
इसका प्रस्ताव स्थायी समिति की सभा के समक्ष पेश किया गया था, जिसे समिति ने खारिज कर दिया है। इसके अलावा रेडी रेकनर के आधार पर संपत्ति कर की दरों में वृद्धि करने का प्रस्ताव पेश किया गया था। 2013- 2014 से कोई करवृद्धि नहीं की गई है, यह दावा करते हुए यह करवृद्धि सुझाई गई थी जिससे 180 करोड़ रुपए की आयवृद्धि की उम्मीद जताई गई थी। इसे भी स्थायी समिति ने खारिज कर दिया। इस बारे में समिति के सभापति विलास मडिगेरी ने बताया कि, फिलहाल शहर में एक दिन छोड़ कर जलापूर्ति की जा रही है। लोगों की शिकायत अभी कम नहीं हुई हैं। नियमित और पर्याप्त दाब से जलापूर्ति करने के बाद ही पानीपट्टी में वृद्धि करने का विचार किया जाय। इसके लिए करवृद्धि के प्रस्ताव खरिज किये गए