पिंपरी चिंचवड़ मनपा के ‘पारदर्शिता’ की पोलखोल

55 करोड़ के 360 टेंडर खुद आयुक्त ने किये रद्द

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

स्वच्छ, पारदर्शी और भयमुक्त प्रशासन का भरोसा दिलाते हुए पिंपरी चिंचवड़ मनपा की सत्ता हासिल करनेवाली भाजपा निरंकुश प्रशासन के भ्रष्ट कामकाज की नकेल कसने में नाकाम साबित हुई है। ई टेंडरिंग में सुधार, काम से पहले और काम के बाद के फोटो और वीडियो शूटिंग की अनिवार्यता जैसी कई सख्तियों के बाद में टेंडर प्रक्रिया में किये जानेवाली ‘रिंग’ याने मिलीभगत को थोपा नहीं जा सका है। इसका प्रमाण मिलता है मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर द्वारा हालिया किये गए एक बड़े फैसले से। इसमें मनपा के स्थापत्य विभाग द्वारा जारी किये गए 54 करोड़ रुपए के 360 टेंडर रद्द किये गए हैं। टेंडर प्रक्रिया में की जानेवाली धांधली के प्रमाण मिलने से इतना बड़ा फैसला किया गया है। इसकी सफाई में मनपा प्रशासन और सत्तादल भाजपा के खेमे से अलग- अलग तर्क दिए जा रहे हैं, अलग- अलग दावे किये जा रहे हैं। मगर इस फैसले से आगामी लोकसभा और विधानभा चुनाव की पृष्ठभूमि पर भाजपा को घेरने के लिए विपक्षी दलों को बड़ा हथियार मिल गया है।

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जारी वित्त वर्ष में मनपा मुख्यालय और आठ क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिये काँक्रिटीकरण, पेविग ब्लॉक, स्टॉर्म वॉटर लाईन, सड़कों के मजबूतीकरण, फुटपाथों की दुरुस्ती, मनपा इमारतों का रंगरोगन, नदी-घाट विकास, शौचालय निर्माण, उद्यान नुतनीकरण, स्ट्रीट फर्निचर जैसे कामों के टेंडर जारी किये गए। 10 से 40 लाख रूपये खर्च के इन टेंडरों में ठेकेदार, अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के त्रिकूट ने मिलीभगत की। इसके लिए एक दूसरे के कम्प्यूटरों से टेंडर भरने, एक ही अकाउंट से कई टेंडर के लिए जमानत राशि का ड्राफ्ट जारी करने तक की हिम्मत दिखाई गई। इस त्रिकूट की धांधली मनपा आयुक्त की नजरों से बच नहीं सकी। एक ही आईपी एड्रेस से कई टेंडर भरे जाने, प्रतिस्पर्धी ठेकेदारों के समान एड्रेस, कम से कम तीन टेंडर दिखने के लिहाज से फर्जी ठेकेदार खड़े करने जैसी कई बातें सामने आने के बाद 360 टेंडर रद्द कर दिए गए। भले ही मनपा प्रशासन और सत्तादल भाजपा इस फैसले के कई कारण बता रही हो, मगर इससे विपक्ष के हाथ सत्तादल को घेरने के लिए बड़ा हथियार लग गया है।

भूतपूर्व नगरसेवक और भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार संघर्षरत रहे मारुती भापकर ने संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में कहा कि, मनपा आयुक्त श्रावण हार्डीकर की नियुक्ति से लेकर अब तक के कार्यकाल में यह पहला अवसर है जब उनकी तारीफ़ करने का दिल किया है। उनका यह फैसला और कदम वाकई में बड़ा और काबिले तारीफ है। इससे पहले कचरा संकलन, प्रधानमंत्री आवास योजना, 425 करोड़ रुपए की सड़क विकास योजना, भक्ति-शक्ति उड़ानपुल जैसी कई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतें की गई, मगर उनकी सुध नहीं ली गई। हांलाकि अब 360 टेंडर रद्द करने का फैसला देर आये दुरुस्त आये की बात को साबित करने वाला है। वहीं मनपा के विपक्षी दल के नेता दत्ता साने ने इस मुद्दे पर सत्तादल को घेरते हुए कहा कि, इस फैसले से भाजपा के पारदर्षिते के दावे की पोलखोल हो गई है। उसके अब तक के डेढ़ सालों के कार्यकाल की परियोजनाओं की जाँच की मांग भी उन्होंने की है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई परियोजनाओं में घोटाला किया गया है।