पिंपरी और सांगवी को बाढ़ से सर्वाधिक नुकसान का अंदेशा

नदी किनारे के 15 इलाकों में बाढ़ का खतरा
संवाददाता, पिंपरी। राष्ट्रीय हरित लवाद द्वारा पिंपरी चिंचवड़ मनपा प्रशासन को कड़ी फटकार लगाने के बावजूद शहर के नदी पाट में मलबा डालकर अवैध रूप से इमारतों और घरों का निर्माण किया जा रहा। है। इसके अलावा नदी किनारे अतिक्रमण भी बढ़ गया है। बरसात के मौसम में अगर पवना, मुला नदियों में बाढ़ आती है तो शहर के 15 इलाकों को काफी नुकसान पहुंचेगा। उसमें भी सबसे ज्यादा खतरा पिंपरी और सांगवी इलाकों के लिए है। इसके मद्देनजर मनपा आयुक्त राजेश पाटिल ने नदी किनारे के अतिक्रमण हटाने को लेकर आपराधिक मामले दर्ज करने की चेतावनी दी है।
पवना और मुलशी बांध क्षेत्रों में बारिश का जोर बढ़ने पर बांधों से नदियों में पानी छोड़ा जाता है। ज्यादा पानी छोड़ने पर नदी किनारे के इलाकों में बाढ़ का सामना करना पड़ता है। 2019 में भी शहर में बाढ़ से गंभीर हालात पैदा हुए थे जिससे 5801 लोग प्रभावित हुए थे। कम से कम इसके बाद तो नदी में मलबा आदि डालकर नदी पाटने, अवैध निर्माण करने, अतिक्रमण आदि रुक सकेंगे, ऐसी उम्मीद थी। राष्ट्रीय हरित लवाद ने इस मसले पर प्रशासन को फटकार भी लगाई गई थी। साथ ही नदी का मलबा आदि हटाकर अतिक्रमण न होने देने के उपाय करने के आदेश दिए थे। हालांकि मनपा प्रशासन ने कागजी कार्रवाई कर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। परोक्ष में हालात जस के तस हैं।
मलबा आदि डालकर नदी पाटने से नदियां संकरी हो गई है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इस बार भी पवना व मुला नदी किनारे की बस्तियों को बाढ़ का खतरा है। पवना नदी किनारे पिंपरी में संजय गांधीनगर, आंबेडकरनगर, सुभाषनगर, भाटनगर, माता रमाईनगर, बौध्दनगर, चिंचवड में मोरया गोसावी परिसर, रहाटणी श्मशान भूमि, कासारवाडी, फुगेवाडी, पिंपले गुरव, सांगवी और मुला नदी किनारे वाकड के ममतानगर, कस्पटे वस्ती परिसर, सांगवी मुला नदी किनारा, मधुबन सोसायटी, संगमनगर, पवनाबस्ती, पिंपले निलख, दापोडी, हैरिस पुल, बोपखेल, गणेशनगर परिसर जैसे इलाकों को बाढ़ का खतरा ज्यादा है। बाढ़ जैसे हालातों से निपटने के लिए मनपा प्रशासन ने बाढ़ नियंत्रण कृति रूपरेखा तैयार की है। इसके अनुसार आपदा प्रबंधन से संबंधित विभाग, प्रभाग कार्यालय के अधिकारियों को कामकाज करने के आदेश दिए गए हैं।