पीजी मेडिकल मराठा आरक्षण विधेयक विधानसभा में मंजूर

मुंबई : समाचार ऑनलाईन – स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा में मराठा समाज के विद्यार्थियों के एडमिशन से संबंधित पीजी मेडिकल मराठा आरक्षण विधेयक गुरुवार को विधानसभा में बहुमत के साथ मंजूर किया गया। राज्य सरकार ने पीजीमेडिकल मराठा आरक्षण के अध्यादेश को विधेयक में परिवर्तित कर उसे सदन में रखा, जिससे मराठा विद्यार्थियों को फिलहाल राहत मिल गई है।

राज्य के पीजी मेडिकल व डेंटल की प्रवेश प्रक्रिया में पहले से तय प्रभाव से मराठा समाज को एसईबीसी (विशेष अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इसी बीच विधानसभा में यह विधेयक मंजूर किया गया। इससे पहले 30 नवंबर को राज्य में मराठा समाज को आरक्षण देने का कानून राज्य सरकार ने लागू किया था। एसईबीसी के अंतर्गत शैक्षिक संस्था व नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है, लेकिन पीजी मेडिकल पाठ्यक्रम के लिए 2 नवंबर को आरक्षण लागू करने का दावा करते हुए ओपन केटेगिरी के विद्यार्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने मेडिकल पीजी प्रवेश प्रक्रिया में 16 फीसदी आरक्षण को स्थगित किया था, लेकिन विद्यार्थियों का एडमिशन बरकरार रखने सरकार ने यह कदम उठाया।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को पहले सीटें बढ़ाने और उसके बाद मराठा समाज को आरक्षण देने की सलाह दी थी।

सभी बोर्डों के स्कूलों में मराठी अनिवार्य : मुख्यमंत्री
राज्य के एसएससी, आईसीएससी व सीबीएसई बोर्डों के स्कूलों में मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य किया गया है। यह घोषणा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की। बता दें कि 24 जून को राज्य के प्रमुख साहित्यकारों ने स्कूलों में मराठी भाषा अनिवार्य करने की मांग को लेकर आजाद मैदान में आंदोलन की घोषणा की है। इसी के मद्देनजर शिवसेना विधायक नीलम गोर्हे ने यह मुद्दा उठाया। इस पर जवाब देते हुए सीएम फडणवीस ने उक्त घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में मराठी भाषा न पढ़ाये जाने की बात सामने आई है। इसलिए कानून में बदलाव किया जायेगा और मराठी न पढ़ाने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की तर्ज पर अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में मराठी को अनिवार्य किया जाना चाहिए। सरकार इसके लिए ठोस कदम उठायेगी।

अजीत पवार ने विधानभवन की कैंटीन में मटकी (मोठ) में चिकन के टुकड़े मिलने का मुद्दा उठाया
अजीत पवार ने विधानभवन की कैंटीन में मटकी (मोठ) में चिकन के टुकड़े मिलने का मुद्दा उठाते हुए लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने रोष जताते हुए कहा कि अधिकारी व कर्मी 12-12 घंटे काम करते हैं और उनके शाकाहारी भोजन में चिकन के टुकड़े पाये जाते हैं तो यह उनकी भावना व श्रद्धा का अपमान है। महाबलेश्वर, लोनावला आदि स्थानों में संबंधित विभाग द्वारा छापे मारे गये। एक ज्यूस सेंटर में की गई जांच में 80 फीसदी बर्फ प्रदूषित पानी से बनाये जाने की बात सामने आई। ऐसे मामलों पर अंकुश लगाना जरूरी है। आज बाहर खाना बहुत बड़ा जोखिम उठाने जैसा है। जो लोगों की जान के साथ खेलते हैं उन्हें उम्रकैद की सजा होनी चाहिए।

बता दें कि सहकारिता विभाग के अधिकारी मनोज लाखे ने शाकाहारी थाली मंगाई थी, जिसमें मटकी उसल (विशेष प्रकार से बनाई गई मोठ) थी। उसमें चिकन की हड्डियों के टुकड़े मिलने से उन्होंने रोष जताया और विधानसभा सचिव जीतेंद्र भोले से शिकायत की। उन्होंने कैंटिन के ठेकेदार पर कार्रवाई की मांग की। इसके बाद कैंटिन प्रबंधन द्वारा उनसे माफी मांगी गई।