सरकार द्वारा किराए पर लाये लोगों ने हिंसाचार कर किसान आंदोलन को बदनाम किया

पिंपरी। दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन और गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली में हुए हिंसाचार के निषेधार्थ महात्मा गांधी बलिदान दिन पर पिंपरी चौक में मजदूर संगठन कृति समिति और किसान संघर्ष कृति समिति की ओर से एक दिवसीय अनशन किया गया। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक के पास किये गए इस अनशन में समिति के जिलाध्यक्ष व वरिष्ठ मजदूर नेता डॉ कैलास कदम ने आरोप लगाया कि, सरकार द्वारा किराए पर लाये गए लोगों ने हिंसाचार फैलाकर किसान आंदोलन को बदनाम करने की नाकाम कोशिश की।
उन्होंने आगे कहा कि मजदूरों और किसानों के जीवन से संबंधित समस्याओं के बढ़ने से उन्होंने आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है। उन्हें देशद्रोही करार देकर उनके आंदोलन को बदनाम करने की नाकाम कोशिश की जा रही है सरकार की यह कोशिश निंदनीय है। कृति समिति के समन्वयक मानव कांबले ने कहा कि किसान आंदोलन को देशद्रोही बताने वाले आज के ढोंगी राज्यकर्ताओं ने आजादी की लड़ाई में गाँधी और गांधीवाद से भी गद्दारी की थी। वरिष्ठ कार्यकर्ता गणेश दराडे ने कहा कि, महात्मा गांधी की हत्या करनेवाला नथुराम गोडसे देश का पहला आतंकी था। गांधीजी नहीं रहे लेकिन उनके विचार पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस को काला दिन मनाया, जिन्होंने 50 साल में कभी राष्ट्रीय ध्वजारोहण नहीं किया, ऐसी विचारधारा आज देशभक्ति सीखा रही है।
पूर्व नगरसेवक मारुति भापकर ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार केवल कार्पोरेट के हित में काम कर रही है। जब पूरा देश कोरोना से लड़ रहा था तब सरकार किसानों और मजदूरों के हितों के विरोधी कानून पास करने के लिए उतावली थी। इन कानूनों पर संसद के दोनों सदनों में व्यापक चर्चा होनी चाहिए। इस आंदोलन व एकदिवसीय अनशन में माकपा, इंदिरा काँग्रेस, बारा बलुतेदार, नागरी हक्क सुरक्षा समिती, डी वाय एफ आय, जनवादी महिला संघटना, ओबीसी संघर्ष समिती, फेरीवाला क्रांति महासंघ, प्रहार जनशक्ती संघटना, स्वराज अभियान जैसे कई समविचारी संगठन शामिल हुए। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता मारुती भापकर, मानव कांबले, अनिल रोहम, गणेश दराडे, सलीम सय्यद, काशीनाथ नखाते, इब्राहिम खान, भाई विशाल जाधव, संजय गायके, संदेश नवले, अजीज शेख, शिवराम ठोंबरे, मनोज गजभार, आनंदा कुदले, कालूराम गायकवाड, गौतम गजभार, प्रदीप पवार आदि ने हिस्सा लिया।