परशुराम वाघमारे ने ही मारी थी गौरी लंकेश को गोली

बेंगलुरु। समाचार ऑनलाइन
एसआइटी के दावे को एफएसएल की रिपोर्ट से मिला बल

वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश हत्या मामले की जांच कर रहे कर्नाटक के विशेष जांच दल (एसआईटी) को बड़ी सफलता मिली है। जांच एजेंसी ने दावा किया था कि, इस मामले में गिरफ्तार परशुराम वाघमारे ने ही लंकेश पर गोलियां चलाईं थी। इस दावे को देश के सर्वोत्तम माने जाने वाले गुजरात स्थित फॉरेंसिक लैब (एफएसएल) की रिपोर्ट से बल मिला है। इसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि परशुराम वाघमारे ने ही पिछले साल पांच सितंबर को उनकी गोली मारकर हत्या की थी।

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ज्ञात हो कि प्रगतिशील और निडर लेखन के लिए जानी जाने वाली गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले की जांच हेतु गठित एसआईटी ने हत्या में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शामिल कुछ और लोगों की तलाश तेज कर दी। उसने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। एसआईटी सूत्रों ने कहा कि घटनाक्रम की पूरी श्रृंखला दोबारा से रची गई और उसका वीडियो, घटना के दिन की सीसीटीवी फुटेज फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय के पास भेजी गई, जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि दोनों विजुअल्स में दिख रहा व्यक्ति एक ही है। एफएसएल प्रयोगशाला ने पुष्टि की कि दोनों विजुअल्स में दिख रहा व्यक्ति एक ही है। इससे एसआईटी की जांच की पुष्टि हुई।

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एसआईटी के एक अधिकारी ने कहा, इस मामले में कुछ और लोगों की तलाश है जो महाराष्ट्र एटीएस के तलाशी शुरू करने के बाद से फरार हैं। वे सब महाराष्ट्र और गोवा के रहने वाले हैं। एसआईटी ने कर्नाटक में कम से कम 50 लोगों की पहचान की है जो इस अनाम गिरोह के सदस्य थे। उन्होंने महाराष्ट्र में भी इतने ही लोगों की पहचान की है। इस समूह का आकार एवं नेटवर्क काफी बड़ा है और वह पूरे भारत में सक्रिय है। एसआईटी ने उनमें से कई की पहचान की है और अपने उच्च अधिकारियों के साथ इस तरह के अपराधों में लिप्त लोगों के नाम साझा किए हैं। इन लोगों पर कार्रवाई करने का फैसला उन्हें लेना है। नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पन्सारे, एम एम कलबुर्गी और लंकेश की हत्या करने वाले समूह ने करीब नौ साल पहले मडगांव (गोवा) में हुए विस्फोट के बाद अपनी मौजूदगी के संकेत दिए थे।