Parambir Singh | परमबीर सिंह को आखिरकार भरना ही पड़ा 50,000 रुपए का जुर्माना, चांदीवाल आयोग ने की कार्रवाई

मुंबई (Mumbai) – मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) ने आखिरकार उन पर लगाए गए 50,000 रुपये के जुर्माने (Fine) का भुगतान कर दिया है। सिंह पर चांदीवाल आयोग (Chandiwal Commission) के समक्ष हलफनामा प्रस्तुत नहीं करने के लिए जुर्माना लगाया गया था। उन्हें सीएम कोविड फंड (CM covid fund) में राशि जमा कराने का आदेश दिया गया। इसी हिसाब से परमबीर सिंह (Parambir Singh) ने यह राशी जमा कर दी है।

चांदीवाल आयोग ने परमबीर सिंह (Parambir Singh) पर तीन बार जुर्माना लगा चूका है। पहले 5 हजार, फिर बाद में उन पर 25,000 रुपये और अब 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

क्या है पूरा मामला –

परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि एनसीपी नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने 100 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश दिया था। राज्य सरकार (State government) ने आरोपों की जांच के लिए न्यायमूर्ति चांदीवाल आयोग का गठन किया है। आयोग को दीवानी न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई हैं। निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे (Sachin Vaze) का जवाब दर्ज कर लिया गया है। आयोग ने सचिन वाजे को अपने समक्ष पेश होने के लिए तलब किया था। जस्टिस चांदीवाल ने खुद सचिन का जवाब रिकॉर्ड किया। हालांकि, सिंह ने आयोग को एक हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए उन पर जुर्माना लगाया गया।

चांदीवाल कमेटी में कौन-कौन  है ?

आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल (Kailash Uttamchand Chandiwal) हैं। उच्च न्यायालय (High Court) के मौजूदा न्यायाधीशों को स्वीकार्य वेतन और भत्ते के समान मानदेय मिलेगा। उच्च स्तरीय जांच समिति के अधिवक्ता एड. शिशिर हिरे को वास्तविक सुनवाई के लिए प्रतिदिन 15,000 रुपये मिलेंगे। भैयासाहेब बोहरे (समिति के प्रबंधक), सुभाष शिखर (समिति के प्रमुख), हर्षवर्धन जोशी (समिति के आशुलिपि लेखक) और संजय कार्णिक (कार्यालय अधीक्षक मजिस्ट्रेट) उपस्थित रहेंगे।

एसीबी को जांच की सिफारिश करने का अधिकार –

चांदीवाल समिति ने जांच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा 4,5ए, 8,9 के तहत नागरिक और सहायक शक्तियां हासिल कर ली हैं। यदि परमबीर सिंह (Parambir Singh) द्वारा अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं, तो समिति सिफारिश कर सकती है कि मामला रिश्वत रोकथाम विभाग (Bribery Prevention Department) और अन्य एजेंसियों को सौंप दिया जाए। समिति को हाल ही में कार्यालय की जगह दी गई थी। चांदीवाल कमेटी छह माह के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपेगी।

 

 

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