परमबीर सिंग दिवाली में हर डीसीपी से लेते थे 40 तोले के सोने की बिस्किट, पुलिस निरीक्षक का आरोप

मुंबई : कुछ दिन पहले  पुलिस महानिरीक्षक  अनूप डांगे ने पूर्व पुलिस आयुक्त (SP) परमबीर सिंग को कथित तौर पर अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने के लिए दोषी ठहराया था। अब एक बार फिर से परमबीर सिंग के खिलाफ 14 पन्नो की शिकायत सीधा पुलिस महासंचालक के पास भेजा गया है। इस शिकायत में सिंग ने दिवाली पर प्रत्येक जोन के डीसीपी से 40 तोले सोने के बिस्कुट लेने और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक से लगभग 30-40 तोले के सोने के बिस्कुट लिए, महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसा न करने पर अधिकारी को झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। इस शिकायत की वजह से सिंह के पैर और गड्ढे में जाने की संभावना है। यह शिकायत पुलिस निरीक्षक भीमराज उर्फ भीमराव घाडगे ने की है, जो वर्तमान में अकोला नियंत्रण कक्ष में कार्यरत हैं।

परमबीर सिंग  17 मार्च, 2015 से 31 जुलाई, 2018 तक ठाणे के पुलिस आयुक्त रहे। उस समय भीमराज उर्फ भीमराव घाडगे कल्याण के बाजारपेठ थाने में पुलिस निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे। पत्र में आरोप लगाया गया है कि परमबीर सिंग ने कई अमीर अपराधियों को रिहा करने के लिए दबाव डाला, उन्हें उनकी बात न मानने के सजा के रूप में विभिन्न अपराधों में फंसा कर परेशानी में डाला। इसके अलावा, घाडगे ने आरोप लगाया कि प्रत्येक जोन के डीसीपी से दीवाली के उपहार के रूप में 40 तोले सोने के बिस्कुट लिए, वही प्रत्येक सहायक पुलिस आयुक्त से 20 से 30 तोला सोने के बिस्कुट और वरिष्ठ पुलिस से लगभग 30 से 40 तोला सोने के बिस्कुट लिए गए।

सिंग ने अपनी पत्नी सविता के नाम पर खेतान नाम से एक कंपनी शुरू की है। उसका कार्यालय इंडिया बुल बिल्डिंग, 6 ठी मंजिल, लोअर परेल, मुंबई में है। वह इंडिया बुल कंपनी के संचालक भी हैं और इंडिया बुल में लगभग 5000 करोड़ का इंवेस्टमेंट करने की गुप्त जानकारी मिली है। जब सिंग ठाणे के आयुक्त थे, तब उन्होंने अपनी पत्नी सविता के इस्तेमाल के लिए सरकारी वाहन नं. MH 01-AN1415 होंडा सिटी दी थी। इस कार पर सरकारी ड्राइवर का इस्तेमाल किया जाता था। मैंने सरकार के पास शिकायत दर्ज कराई है। इसके साथ ही सभी पुलिस थानो में अवैध व्यापार शुरू रखने के लिए सिंग हर महीने करोड़ो रुपये और पुलिस अधिकारियों के तबादले के लिए पैसे लेनेका आरोप है।

 पुलिस उपायुक्त, परिमंडल -3, कल्याण में नियुक्ति के दौरान प्रकाश मुथा (कल्याण निवासी) के माध्यम से रिवाल्वर लाइसेंस के काम के लिए 10 से 15 लाख रुपये लेते थे साथ ही बिल्डर लोगों के काम उनके माध्यम से हो इसके लिए करोड़ो रुपये की लेनदेन कर सेटलमेंट किया जाता था। इस काम में किसी पुलिस अधिकारी ने मदद नहीं की तो उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर या उनकी बदली नियंत्रण कक्ष में की जाती थी। इसमें उदाहरण के तौर पर पोनी कदम को मानपाड़ा पुलिस स्टेशन से ठाणे कंट्रोल रूम में स्थानांतरित कर दिया गया। साथ ही मेरे खिलाफ 5 झूठे आरोप लगाए गए।

सिंग ने पुलिस अधिकारी के तबादले के लिए एजेंट राजू अय्यर को काम पर रखा था। उनके पास बदली के भ्रष्टाचार की राशि जमा करने के बाद तबादला किया जाता था। उन्होंने यह भी दावा किया कि वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक के रूप में नियुक्त करते समय लगभग 1 करोड़ रुपये से 50 लाख रुपये तक लिए जाते थे। मुझे सिंग ने गैरकानूनी तरीके से अमीर आरोपियों के नाम गुनाह से हटाने का आदेश दिया गया था। हालांकि, जैसे ही मैंने इससे इनकार किया, उन्होंने मेरे खिलाफ झूठे आरोप दायर करने के बाद मेरे पास आए अपराधो में से गुनहगारो के नाम हटा दिए गए या कुछ मामलों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया, जिसमे लगभग 200 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ।

जब ठाणे पुलिस आयुक्त थे, तो परमबीर सिंह अवैध रूप से दो सरकारी आवासों का उपयोग कर रहे थे। इस संबंध में, मेरे द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद कुल 29,43,825 / – रुपये का भुगतान किया था। शिकायत में आगे कहा गया है कि सिंह को केवल दो रसोइयों और एक टेलीफोन ऑपरेटर की अनुमति थी। हालांकि,  अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ठाणे में अपने आवास पर SRPF  के 6 पुलिस कर्मियों और ठाणे में तैनात 14 पुलिस कर्मियों को सेवा के लिए इस्तेमाल करते थे।

साथ ही मुंबई में अपने परिवार के लिए एसाअरपीएफ के 10 कर्मचारी और 3 वाहन चालक पुलिस हवलदार पठारे और पुलिस हवलदार फ्रांसिस डिसिल्वा और पुलिस हवलदार प्रशांत पाटिल ये दोनो हैं, इन दोनो की कही भी बदली हुई फिर भी ये दोनो उनके साथ ही रहते हैं। नीजि व्यवहार के लिए व बदली में भ्रष्टाचार की रकम के लेनदेन करने के लिए व बेनामी संपत्ति खरीद बिक्री करने की जिम्मेदारी इन दोनो के पास थी, ऐसा भीमराव घाडगे ने शिकायत में कहा है।