कश्मीर में राष्ट्रपति शासन पर विपक्ष लगाएगा अड़ंगा

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने को लेकर आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करेंगे। ये प्रस्ताव लोकसभा में पास हो चुका है लेकिन ऊपरी सदन से इसे पास कराना सरकार के लिए चुनौती है। कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह लोकसभा में इस प्रस्ताव का विरोध किया था, उससे सरकार की इसे राज्यसभा में आसानी से पास कराने की कोशिशों को धक्का लग सकता है। क्योंकि मोदी सरकार या यूं कहें कि एनडीए अभी राज्यसभा में बहुमत के आंकड़ों से दूर है।

पिछले कार्यकाल में भी मोदी सरकार के सामने कई बार ऐसी चुनौतियां आई थीं, जहां वह लोकसभा में तो बिल पास करा लेती थी लेकिन राज्यसभा में संकट गहरा जाता था। तीन तलाक बिल, इसका एक उदाहरण है।
अगर अभी के आंकड़ों को देखें तो राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है। जिसमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के पास 104 सदस्य हैं। राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 का नंबर चाहिए। ऐसे में अगर मोदी सरकार को इस बिल को पास कराना होगा, तो उसे अन्य पार्टियों की मदद लेनी होगी।

एनडीए के 104 सदस्य हैं और राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 का आंकड़ा छूना जरूरी है। सदन में ऐसी कई पार्टियां हैं जिनका रुख भाजपा के प्रति बीते कुछ समय में नरम रहा है। कई अवसरों पर ऐसा देखने को भी मिला है। इनमें ओडिशा की बीजद तो वहीं आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस की पार्टी शामिल हैं। अगर अन्य पार्टियों का समर्थन भाजपा को मिलता है तो देखें क्या स्थिति हो सकती है।

अगर विपक्षी पार्टियों की बात करें तो उनमें कांग्रेस सबसे बड़ी है। कांग्रेस के पास राज्यसभा में 48, टीएमसी के पास 13, बसपा 4, सपा 13 और एनसीपी 4 जैसी पार्टियां शामिल हैं। गौरतलब है कि आने वाले कुछ समय में कुछ जगह पर राज्यसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में एनडीए को उम्मीद है कि वह नवंबर, 2020 तक ऊपरी सदन में भी बहुमत हासिल कर लेगा