एक और पहल…एक घंटे से अधिक देरी होने पर यात्रियों के मोबाइल पर मिलेगी ट्रेन की जानकारी  

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : रेलवे यात्री सुविधा को लेकर काफी गंभीर है। इसी कड़ी में वह लगातार नई तकनीक ला रही है। लॉकडाउन के दौरान रेलवे ने इस पर खासतौर से समीक्षात्मक अध्ययन किया। जाड़े में सबसे बड़ी परेशानी ट्रेनों की लेटलतीफी होती है, इसका कारण घना कोहरा होता है। पहाड़ी इलाकों से आने वाली ट्रेनें अक्सर इससे प्रभावित होती हैं।कम दृश्यता के कारण रेलगाड़ियों का परिचालन भी प्रभावित होता है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में रेलगाड़ियों की गति सीमा पर प्रतिबंध लगाने जैसे अनेक उपाय किये जाते हैं। सूचना तंत्र विकसित होने के चलते हालांकि इसकी जानकारी आसानी से मिल जा रही है, लेकिन रेलगाडियां अपने गंतव्य पर विलम्ब से पहुंचती हैं।

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने शुक्रवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मीडिया को कोहरे की समस्या से निपटने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी दी। कहा-गत वर्षों के दौरान कोहरे के मौसम में आई कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे द्वारा रेल परिचालन की योजना तैयार की गई है। एक घंटे से अधिक देरी से प्रस्थान करने वाली रेलगाड़ियों की सूचना यात्रियों को एसएमएस के माध्यम से उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर दी जाएगी।  सभी इंजनों में फॉग-सेफ्टी डिवाइस का प्रावधान किया गया है। दृश्यता कम होने की स्थिति में ड्राइवर आने वाले सिगनल की ऑडियो-विजुअल सूचना प्राप्त कर सकता है।

साथ ही बताया कि लाइनों पर गश्त बढ़ाकर सतत् निगरानी की जाएगी। रेल पथ पर गश्त लगाने वाले कर्मचारियों को जीपीएस आधारित हैंड-हेल्ड उपकरण प्रदान किए गए हैं, ताकि किसी भी आकस्मिक घटना की सूचना वे दोनों ओर के निकटवर्ती स्टेशनों तक तुरंत पहुँचा सकें। इसके अलावा सामान्य कार्य अवधि के उपरांत भी देर तक प्लेटफॉर्मों पर खान-पान स्टॉलों को खोलने का प्रावधान किया गया है। भीड़-भाड़ प्रबंधन और सुरक्षा मामलों से निपटने के लिए स्टेशनों पर रेल सुरक्षा बल के अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जाएगी।  कम दृश्यता संबंधी मामलों से निपटने के लिए लोको पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। वे रेल पथों पर परिस्थिति के अनुसार रेलगाड़ी की गति सीमा को अपने विवेक और सूझ-बूझ के साथ नियंत्रित करेंगे।