October 22 as Black Day | 22 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाया जाता है

कल 22 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाया जाता है :

October 22 as Black Day | महाराज मे भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ा जिससे 26 अक्टूबर 1947 में कश्मीर राज्य (Kashmir State) को भारत (India) में शामिल करने के लिए स्वेच्छा से सहमत होना पड़ा ! इस प्रकार कश्मीर के साथ पाकिस्तान (Pakistan) का निर्धारण 70 वर्षों से अधिक पुराना है ! पाकिस्तान ने अशांति हिंसा और आतंकवाद की जिम्मेदारी को चिन्हित करते हुए 1947 से भारत , जम्मू और कश्मीर राज्य को पीड़ित किया है जिस कारण 22 अक्टूबर को काला दिवस (October 22 as Black Day) के रूप में मनाया जाता है !

 

कश्मीर में शांति और कानून व्यवस्था को भंग करने में भारी कारकों की भूमिका का समावेश :

हाल ही में कश्मीर (Kashmir) में निर्दोष नागरिकों की हत्याओं ने एक बार फिर से शांति और कानून व्यवस्था (Law-order) को भंग करने में बाहरी कारकों की भूमिका को ला खड़ा किया है ! हमारे पड़ोसी की साजिश और हताशा खासकर जब से भारत बदल गया है , कश्मीर ” लोन वूलफ ” हमलो के तौर-तरीकों पर प्रकाश डाला गया है !

 

मेजर जनरल अकबर खान की पुस्तक रेडर्स में दिया गया है लेखा-जोखा :

धारा 370 और अनुच्छेद 35 (ए) को समाप्त करके जमीनी स्थिति पूरी तरह से कश्मीर मामलों में पाकिस्तान की भागीदारी की उत्पत्ति 1947 में आजादी के 2 महीने बाद हुई थी ! 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान आजाद हुआ था , इसके मिलिशिया और सेना नियमित कश्मीर में आदिवासियों को ए-सेल्फ (A-self) के रूप में प्रस्तुत करते हैं ! इस आक्रमण का सही लेखा-जोखा पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) के मेजर जनरल अकबर खान (Major General Akbar Khan) ने अपनी पुस्तक रेडर्स इन कश्मीर में दिया है !

 

जी एच क्यू यू मे और प्रधानमंत्री के सैन्य सलाहकार के रूप में किया गया था नियुक्त :

जब आक्रमण की योजना बनाई गई और आक्रमण किया गया तब जी एच क्यू में हथियार और उपकरण (पाकिस्तानी सेना सामान्य मुख्यालय ) के निदेशक मेजर जनरल खान थे उन्होंने सेना की राइफलो के मुद्दे की सक्रिय निगरानी की और मिलिशिया (Militia) के लिए गोला-बारूद और उनके साथ कई बैठक की । शत्रुता के चलते पाकिस्तान के मंत्री जो हाईलाइट करता है कि जमीनी कार्यवाही को उच्चतम स्तर से समन्वित किया जा रहा है , दरअसल कश्मीर में भारत के हस्तक्षेप के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक कार्यालय एवं राज्य का भारत में प्रवेश , जी एच क्यू में और प्रधानमंत्री के सैन्य सलाहकार के रूप में नियुक्त किए गए मेजर जनरल खान को उनके कर्तव्य से मुक्त कर देना यह पुस्तक , पाकिस्तानी प्रतिष्ठान (Pakistani establishment) की भूमिका का ऐसा स्पष्ट विवरण देती है !

“आंतरिक विद्रोह ” के नाम पर किया जाता है बदनाम :

मेजर जनरल खान ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि आक्रमण का उद्देश्य कश्मीर में हिंसा भड़काना किसी को प्रज्वलित करना था ! उनको आश्चर्य होता है कि उसके पास सभी भंडार है फिर भी जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) राज्य में “आंतरिक विद्रोह” करके बदनाम किया जाता है ! कश्मीर में महाराज का शासन आंतरिक विद्रोह (Internal Rebellion) को पेंट करने में मदद करता है ! राज्य मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी की एक तस्वीर चाहता है राज्य का पाकिस्तान में विलय होने से हालांकि कोई आंतरिक विद्रोह नहीं हुआ और लुटेरों ने हजारों निर्दोष नागरिकों को मार डाला जिसमें हिंदू , सिख और मुसलमान शामिल है !

“जंगली ताकतों “को राजे पर ढीले पड़ने के दिए थे निर्देश :

जनरल खान (General Khan) ने अपनी पुस्तक में गर्व से उल्लेख किया है कि आदिवासी मिलिशिया द्वारा फैलाई गई तबाही और हिंसा ऐसी थी कि बारामूला में 14000 गैर-मुस्लिम निवासियों में से केवल 3000 ही आक्रमण में बच पाए थे ! बारामुला की बर्खास्तगी ने महाराज को और महाराज ने भारत (India) को सूचना दी कि “जंगली ताकतो” को राज्यों पर ढीले पड़ने दो और हम पूरे राज्यों को पछाड़कर श्रीनगर (Srinagar) पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हैं !

 

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