एनआरसीडी रिपोर्ट से ‘जायका’ में ठेकेदारों के सांठगांठ का भंड़ाफोड़

पुणे : समाचार ऑनलाईन –  मुला-मुठा नदी के शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के तहत सेनेट्रिक ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की बढ़ी हुई लागत वाले टेंडर से मनपा पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। मनपा इस बढ़ी हुई रकम का बोझ नहीं उठाएगी। टेंडर भरने के दौरान ठेकेदार कंपनियों द्वारा आपसी सांठगांठ की रिपोर्ट मनपा प्रशासन ने राष्ट्रीय नदी संवर्धन संचालनालय (एनआरसीडी) और इस प्रोजेक्ट के लिए फंड उपलब्ध कराने वाली जापान इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एजेंसी (जायका) को सौंपी है। इसी वजह से 400 करोड़ रुपए के एसटीएफ प्रोजेक्ट का खर्च 700 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था।

मुला-मुठा नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट चलाई जा रही है
जायका के सहयोग से मुला-मुठा नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट चलाई जा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार और जायका के बीच करार हुआ है। प्रोजेक्ट के लिए 900 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इनमें से 400 करोड़ रुपए के छह प्रोजेक्ट के टेंडर निकाले गए हैं। इन टेंडर्स की जांच तकनीकी समिति द्वारा किए जाने के बाद ठेकेदार कंपनियों द्वारा की गई सांठगांठ का भंड़ाफोड़ हो गया। इस समिति द्वारा शुरू में तैयार की गई रिपोर्ट में एनआरडीसी द्वारा सलाहकार पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने यह रिपोर्ट बदलकर टेंडर प्रक्रिया को लेकर बगैर कोई विरोध जताये उसे उसी रूप में मंजूरी के लिए एनआरसीडी और जायका कंपनी को भेजने का दवाब बनाया।

सत्ताधारियों के दवाब के कारण करदाता नागरिकों के 300 करोड़ रुपए इन ठेकेदार कंपनियों की जेब में जाने की आशंका थी। इसके मद्देनजर महाराष्ट्र टाइम्स द्वारा टेंडर को लेकर आपत्ति जताये जाने पर मनपा आयुक्त सौरभ राव ने सख्त कदम उठाते हुए इस टेंडर को लेकर मौजूदा स्थिति से एनआरसीडी को अवगत कराने का निर्णय लिया। इस बीच तकनीकी समिति के सदस्यों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर डटे रहने की चेतावनी संबंधितों को देने से कर दाताओं के 300 करोड़ रुपए बचेंगे, यह साफ हो गया है।

मनपा अपना रुख साफ करें
इसं टेंडर को लेकर अंतिम निर्णय एनआरसीडी और जायका कंपनी लेगी। इन कार्य के लिए बढ़ी दर पर आये टेंडर से अतिरिक्त लगने वाले 300 करोड़ रुपए का फंड केंद्र सरकार देती है तो यह ठेकेदार कंपनी की जेब में जाएगी। इसके लिए सत्ताधारियों द्वारा सक्रियता दिखाई गई। मनपा प्रशासन द्वारा सख्त रुख अपनाये जाने से इस टेंडर को फिर से जारी करना होगा। इस टेंडर में सांठगांठ की वजह से सलाहकार पर कार्रवाई की स्थिति क्या है? टेंडर पर आगे की प्रक्रिया करना संभव नहीं होने रिपोर्ट इससे पहले तैयार की गई थी। इसे लेकर मनपा का रुख क्या है, यह स्पष्ट करने की मांग की गई है।