अदालतों में सुनवाई के दौरान फिजिकली या ऑनलाइन उपस्थित रहने का अब ऑप्शन मिलेगा

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : वकीलों की मांग थी कि ई-कोर्ट में ऐसा नियम बनाए जाए कि हर मामले की सुनवाई के लिए वकीलों के लिए फिजिकल हियरिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों विकल्प हों, लेकिन किसी एक पक्ष के वकील के पेश न होने के कारण सुनवाई न टाली जाए। अगर इन दोनों विकल्पों को देने के बाद भी कोई वकील सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहता है तो उसके खिलाफ कड़े आदेश जारी किए जाएंगे।

इस मांग पर गंभीरत से विचार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय  ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि किसी केस की सुनवाई के दौरान एक पक्ष फिजिकली मौजूद रह सकता है और दूसरा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग  के जरिए।  जब कोई विशेष पीठ फिजिकली सुनवाई कर रहा है, तो कोई वकील पूर्व सूचना देकर मामले की डिजिटल सुनवाई का विकल्प चुन सकता है।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA), सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने कोर्ट द्वारा शारीरिक सुनवाई नहीं किए जाने से अधिवक्ताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों का मुद्दा उठाया था। विभिन्न बैठकों में इन निकायों के पदाधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के समक्ष अभ्यावेदन दिया और सामान्य सुनवाई फिर से शुरू करने का आग्रह किया। सुरक्षा और एहतियाती व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कई सुझाव और सिफारिशें भी दी गईं हैं। वहां भी इस बारे में निरीक्षण दिया गया है।

ताजा मामले में हाईकोर्ट ने फिजिकली सुनवाई शुरू करने से संबंधित 14 जनवरी के अपने उस आदेश को संशोधित किया है, जिसके द्वारा उच्च न्यायालय ने मामलों की सुनवाई फिर से फिजिकली शुरू करने के लिए न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया था। दरअसल, इस बारे में जून की पहली तारीख ऐतिहासिक रही। उस दिन पहली बार देश की सर्वोच्च अदालत की एक न्यायपीठ के सामने एक पूरी की पूरी कागज-रहित  सुनवाई हुई। एक वर्चुअल अदालत में तीन जजों को अपने सामने मोटी मोटी फाइलों की जगह लैपटॉप रख बैठे देखना एक दुर्लभ दृश्य था।

वकील वीडियो लिंक के जरिए सुनवाई से संबंधित बातें बता रहे थे और जज नोट लिखने की जगह टाइप कर रहे थे। भारत में वर्चुअल अदालतों को कोविड-19 को देखते हुए एक अस्थायी और आपातकालीन प्रतिक्रिया के रूप में अपनाया गया, लेकिन अब कुछ जज और वकील चाहते हैं कि महामारी के खत्म होने के बाद भी अदालतों की सामान्य कार्यवाही में वर्चुअल अदालतों को शामिल किया जाए। हालांकि, वर्चुअल अदालतों के इस नए चलन के मद्देनजर कई ढांचागत चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। कई जज और वकील ये मानते हैं कि इससे पहले कि भारतीय अदालतें डिजिटल दुनिया में पहुंच सकें, इन चुनौतियों का समाधान निकालना जरूरी है।