अब स्थायी समिति के नए सभापति को लेकर बढ़ी उत्सुकता

पिंपरी। सँवाददाता – नए आठ सदस्यों की नियुक्ति के बाद अब पिंपरी चिंचवड़ मनपा की सबसे अहम माने जाने वाली स्थायी समिति का नया सभापति कौन होगा? इसकी उत्सुकता चरम सीमा पर पहुंच गई है। सभागृह के समान समिति में भी सत्तादल भाजपा का वर्चस्व रहने से उसी का सभापति चुना जाना तय है। हालांकि सत्तादल इस बार मनपा की तिजोरी की चाबियां किसके हाथ में सौंपता है? यह देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल नए सभापति की रेस में शीतल उर्फ विजय शिंदे, अभिषेक बारणे, संतोष लोंढे और भीमाबाई फुगे के नाम सबसे आगे चल रहे हैं।
मनपा के आर्थिक फैसले करने वाली स्थायी समिति ‘विटामिन एम’ की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। जारी पंचवर्षीय सत्र समाप्त होने में अभी दो ही साल।बचे हैं। ऐसे में हर कोई इस समिति के सभापति पद का दावेदार बना हुआ है। मनपा तिजोरी की चाबियां संभालने वाली स्थायी समिति में 16 सदस्यों में संख्याबल के हिसाब से सत्तादल के 10, राष्ट्रवादी कांग्रेस के चार, शिवसेना और भाजपा समर्थित निर्दलीयों के मोर्चा के एक- एक सदस्य हैं। इनमें से मौजूदा सभापति विलास मडिगेरी, पूर्व सभापति ममता गायकवाड, सागर आंगोलकर, राजेंद्र गावडे, करुणा चिंचवडे, नम्रता लोंढे और राष्ट्रवादी काँग्रेस की गीता मंचरकर, प्रज्ञा खानोलकर का कार्यकाल 29 फरवरी को खत्म होने जा रहा है।
स्थायी समिति की रिक्त आठ सीटों पर हालिया संपन्न हुई सर्वसाधारण सभा मे नए सदस्यों की नियुक्ति की गई। इनमें भाजपा के शशिकांत कदम, अंबरनाथ कांबले, संतोष कांबले, अभिषेक बारणे, भीमाबाई फुगे, सुवर्णा बोरुडे और राष्ट्रवादी कांग्रेस की पौर्णिमा सोनवणे, सुलक्षणा धर शिलवन्त का समावेश है। इन नियुक्तियों के पश्चात अब नए सभापति को लेकर मनपा गलियारों में उत्सुकता देखी जा रही है। सोमवार (1मार्च) को इस पद के लिए नामांकन दाखिल किया जाना है। समिति की 16 में से 11 सीटें (भाजपा समर्पित निर्दलीय मोर्चा की एक सीट समेत) भाजपा के पास है। बहुमत रहने से भाजपा का ही सभापति चुना जाना तय है। अब तक के तीन साल लगातार चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप गुट के नगरसेवकों को सभापति पद मिला है। ऐसे में इन बार भोसरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक एवं शहराध्यक्ष महेश लांडगे गुट के नगरसेवक को मौका मिलने की उम्मीद है। सबकुछ ठीक ठाक रहा तो उनके गुट के संतोष लोंढे या भीमाबाई फुगे को मौका मिल सकता है। यदि पिछली बार की तरह पार्टी के प्रदेश स्तर से कुछ हलचल हुई तो वरिष्ठ नगरसेवक शीतल शिंदे बाजी मार सकते हैं। इन सबके अलावा अगर हमेशा की तरह विधायक लक्ष्मण जगताप कोई सियासी दांव चलने में सफल हो जाते हैं तो उनके कट्टर समर्थक अभिषेक बारणे भी सभापति पद तक की मंजिल तय कर सकेंगे।