अब मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का बजने वाला है बिगुल,  आचार संहिता की तैयारी तेज 

एजेंसी, भोपाल : मध्य प्रदेश में लंबे समय से अटके नगरीय निकाय चुनाव को लेकर अब सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं।  प्रदेश की करीब 345 निकायों में चुनाव होना है। जानकारों के अनुसार, नगरीय चुनाव के लिए आचार संहिता कभी भी लग सकती है। प्रबल संभावना 25 दिसंबर के पहले की है।  राज्य निर्वाचन  आयोग जनवरी माह में चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने की तैयारी में है। इसके बाद पंचायत चुनाव कराये जाएंगे।

उपचुनाव की जंग फतह करने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं, लेकिन कांग्रेस ने भी निकाय चुनाव की बाजी जीतने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। प्रदेश के 16 नगर निगमों में महापौर पद के आरक्षण की सूची जारी हो गई है, जिनमें आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। पिछले चुनाव में प्रदेश के सभी 16 नगर निगमों में बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया था।
मध्य प्रदेश के सभी नगरीय चुनावी सीटों के लिए पिछले दिनों आरक्षित और गैर आरक्षित सीटों का निर्धारण किया जा चुका है। उम्मीदवार एमपी ऑनलाइन के जरिए नामांकन दाखिल कर सकेंगे। हालांकि रिटर्निंग ऑफिसर के सामने उम्मीदवार को उपस्थित होना अनिवार्य है। वहीं चुनाव प्रचार, रैली और रोड शो में कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखना भी जरूरी है। यह तय है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद पंचायतों के चुनाव शुरू होंगे।

बता दें कि साल 1983 से 1999 तक मध्य प्रदेश में महापौर का चुनाव पार्षद द्वारा किया जाता था। इसके बाद सरकार द्वारा फेरबदल किए गए और महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराए जाने लगा। हालांकि, 2018-19 में महापौर चुनाव को लेकर सत्ता में रहते हुए कमलनाथ सरकार ने फिर फेरबदल किए थे। कमलनाथ ने सूबे के सभी 16 नगर निगम के लिए एक बार फिर से पार्षदों द्वारा ही चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था, लेकिन शिवराज सरकार ने सत्ता में आते ही इस फैसले को बदल दिया है। इस तरह से अब महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष होंगे, जिसे जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी हरसंभव कोशिश करेंगी। दोनों पार्टियां जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई हैं।