अब इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षक बनना होगा मुश्किल, करनी होगी 6 महीने की ट्रेनिंग

समाचार ऑनलाइन – अब इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षक बनना पहले की तुलना में मुश्किल होने जा रहा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) से संबद्ध देश के तमाम इंजीनियरिंग संस्थानों में शिक्षक बनने से पहले आपको 6 महीने की ट्रेनिंग से गुजरना होगा। इतना ही नहीं, ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आपको एक ऑनलाइन टेस्ट भी देना होगा। अगर आप इस टेस्ट में पास होते हैं, तभी किसी इंजीनियरिंग संस्थान में पढ़ाने के योग्य माने जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) इसी सेमेस्टर से यह प्रक्रिया लागू करने की तैयारी में है। ऐसा करने के पीछे एआईसीटीई का कहना है कि पिछले कुछ समय में देखा गया कि एमटेक करने के बाद स्टूडेंट्स सीधे इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाना शुरू कर रहे हैं। इससे शिक्षकों की गुणवत्ता में कमी आ रही है। एक फीडबैक में परिषद को पता चला कि प्रशिक्षित न होने के कारण नये शिक्षकों को स्टूडेंट्स की जरूरत और पढ़ाने की तकनीक समझने में ही एक सेमेस्टर बीत जाता है।

आगे से ऐसा न हो और पढ़ाई की गुणवत्ता भी बढ़ाई जा सके, इसके लिए एक साल पहले ट्रेनिंग की रूपरेखा तैयार की गई है। अब पूरी तैयारी के साथ AICTE अगस्त से ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू कर रहा है। इस बार इस ट्रेनिंग में करीब 30 हजार शिक्षकों के शामिल होने का अनुमान है। बता दें कि वर्तमान में देश में AICTE से संबद्ध करीब तीन हजार इंजीनियरिंग कॉलेज हैं।

ट्रेनिंग में होंगे 8 मॉड्यूल

ट्रेनिंग प्रोग्राम 8 मॉ़ड्यूल्स पर आधारित होगा। 6 महीने में भावी शिक्षकों को पढ़ाने की कला, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, प्रयोगशाला, रिसर्च, लीडरशिप, लेसन प्लान, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण दिये जाएंगे। ट्रेनिंग के दौरान शिक्षकों को आधा वेतन दिये जाने की बात कही गई है। वहीं, ट्रेनिंग कराने की जिम्मेदारी भी संबंधित संस्थान की होगी।

बता दें कि AICTE सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर चुका है। परिषद द्वारा जारी अधिकारिक निर्देशों के अनुसार वेतन भत्ते बढ़ाने के साथ-साथ शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

स्टूडेंट्स के फीडबैक होंगे तरक्की का आधार

वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, एकेडेमिक परफॉर्मेंस इंडीकेटर (API) स्कोर के आधार पर शिक्षकों का प्रमोशन होता था। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, नई व्यवस्था में स्टूडेंट्स से टीचर्स का फीडबैक लिया जाएगा। उनके फीडबैक के आधार पर ही शिक्षकों का प्रमोशन तय होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि API स्कोर में शिक्षक क्लास से ज्यादा कॉन्फ्रेंस, सेमिनार और प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते थे।