शादी के लिए नहीं हुआ तैयार, तो ‘बलात्कार’ में फंसाया, बच्ची के डीएनए से सामने आया सच

चेन्नै. ऑनलाइन टीम तमिलनाडु के चेन्नै में बलात्कार को लेकर एक अजीबे-गरीब मामला सामने आया है। एक लड़की ने एक युवक पर बलात्कार का आरोप लगाया, लेकिन यह अदालत में सिद्ध नहीं हो सका और अब अदालत ने युवती को आदेश दिया है कि वह उसकी हुई बदनामी के एवज में 15 लाख का भुगतान करे।

संतोष नाम के युवक पर एक युवती ने रेप का आरोप लगाया था। संतोष के वकील सिराजुद्दीन ने बताया कि युवती और उसका परिवार पड़ोसी थे। दोनों एक ही जाति के थे।  दोनों की शादी की बात निकली तो दोनों परिवार रजामंद भी हो गए, लेकिन कुछ दिनों बाद उनके परिवार के बीच संपत्ति को लेकर कुछ विवाद हो गया और संतोष का परिवार चेन्नै के एक दूसरे इलाके में रहने लगा। कुछ दिन बाद संतोष ने एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश ले लिया। इसी दौरान युवती की मां ने संतोष के मां-बाप से संपर्क किया और कहा कि अब हमलोगों की इच्छा है कि संतोष और उनकी बेटी की शादी तुरंत हो जाए, लेकिन संतोष ने सुनते ही इस शादी से इनकार कर दिया। उसका कहना था कि जिनके कारण हमने और हमारे परिवार ने इतने पापड़ बेले, इनके घर रिश्ते कैसे जुड़ सकते हैं। इनकार करने के बाद वह शांति महसूस कर रहा था। उसे लगा यहां सब कुछ खत्म हो जाएगा, लेकिन लड़की के घरवालों ने उसके खिलाफ रेप का केस कर दिया।

इस केस के आधार पर संतोष को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे 12 फरवरी 2010 को 95 दिनों की हिरासत में जेल भेज दिया गया। तीन महीने बाद संतोष जमानत पर बाहर आया तो उसे पता चला कि युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया है। संतोष ने बच्ची के डीएनए टेस्ट की मांग की। एक तरफ संतोष के खिलाफ ट्रायल शुरू हुआ। डीएनए टेस्ट में पता चला कि बच्ची संतोष की नहीं थी। इसके बाद संतोष ने कोर्ट में युवती से मुआवजे की मांग की थी। संतोष ने कोर्ट में बताया कि रेप के आरोप के बाद करियर और जिंदगी दोनों तबाह हो गई। उसने कोर्ट में याचिका दायर करके उसे 30 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग रखी। संतोष ने अपने केस में लड़की, उसके माता पिता और उसके केस की जांच करने वाले सेक्रटेरिएट कॉलोनी पुलिस इंस्पेक्टर को वादी बनाया था। अंतत: कोर्ट ने संतोष के आरोपों से बरी कर दिया और झूठे बलात्कार के आरोप में फंसाने के लिए 15 लाख रुपए संतोष को देने के आदेश दिए।