अंतिम संस्कार के लिए नहीं बची जगह; खुले मैदान में अंत्येष्टि करने की नौबत

पुणे। कोरोना के मरीजों की बढ़ते आंकड़ों से जहां अस्पतालों में बेड की किल्लत बनी हुई है। वहीं मृतकों की बढ़ती संख्या से अब श्मशान भूमि में भी जगह नहीं बच रही है। नतीजन निर्जन स्थानों पर खुले में कोरोना ग्रस्त मृतकों की अंत्येष्टि करने की नौबत आयी है। यह विदारक परिस्थिति कहीं और नहीं बल्कि इस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित पुणे की है। हर दिन बड़ी संख्या में शवों के पहुंचने की वजह से पुणे मनपा द्वारा अब निर्जन व खुली जगह में अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया जा सकता है।
कोरोना के मरीजों को पहले जिंदगी की जंग लड़नी पड़ रही है। दुर्भाग्य से जो इस जंग में हार जाते हैं, उन्हें मौत के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में श्मशान घाट प्रबंधकों को इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए जो घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। मनपा की विद्युत दाहिनियों को हालत भी खस्ता हो गई है। अचानक अंतिम संस्कार के लाये जानेवाले शवों की संख्या बढ़ते जाने से इन पर भार बढ़ गया है। नतीजन विद्युत दाहिनी बार- बार नादुरुस्त हो रही हैं।
पुणे में अब तक 6000 से ज्यादा लोगों की मौत कोविड-19 की वजह से हो चुकी है। ऐसे में पुणे के सभी 21 श्मशान घाटों पर लगातार लोड बना हुआ है। फिलहाल शहर के अहम श्मशान घाटों को 24 घंटे काम करना पड़ रहा है। लगातार अंतिम संस्कार होते रहने की वजह से अब श्मशान घाटों खासकर विद्युत दाहिनी को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक हफ्ते में ही 11 से अधिक गैस और बिजली से संचालित शवदाह गृहों में खराबी का सामना करना पड़ा है। इससे मृतकों के रिश्तेदारों को घंटों इंतजार करना पड़ा। ऐसे में उन्हें होने वाली परेशानी को समझा सकता है। इन तमाम हालातों में मनपा के पास निर्जन और खुले जगहों पर कोरोना ग्रस्त मृतकों के अंतिम संस्कार कराने के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है।
पुणे मनपा प्रशासन के अनुसार, हर दिन करीब 100 कोविड मौतें रिपोर्ट हो रही हैं। इसके अलावा 120 से ज्यादा ऐसे शव हर दिन अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं जिनकी मृत्यु का कारण अन्य कोई बीमारी या सड़क हादसा आदि होता है। इन दिनों पुणे के सभी 21 श्मशान घाट दिन-रात बिना रुके काम कर रहे हैं  ऐसे में लोहे की रॉड्स ने पिघलना शुरू कर दिया है, ट्रांसफॉर्मर्स जहां जबाव दे रहे हैं वहीं चिमनियां भी खराब होने लगी है। लगातार हो है अंतिम संस्कार म चलते अंतिम संस्कार लगातार हो रहे हैं और बीच में कोई ब्रेक नहीं मिल रहा, ऐसे में ओवरहीटिंग से पार पाना भी समस्या बना हुआ है। मनपा के पास इसके अलावा कोई कोई विकल्प नहीं बचा होने की वजह से अब फैसला किया गया है कि निर्जन जगहों पर खुले में अंतिम संस्कार के पारम्परिक तरीके को अपनाया जाए। सिस्टम अचानक पूरी तरह न बैठ जाए इसके लिए तकनीकी इंजीनियरों की एक विशेष टीम को दिन रात नजर रखने के लिए तैनात किया गया है। पुणे में 4 अतिरिक्त इलेक्ट्रिक शवदाह गृहों के लिए 240 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। इसके अलावा 42 अतिरिक्त लोगों की नियुक्ति की गई है।