सेवा विकास बैंक में नहीं हुआ कोई घोटाला

पिंपरी : पुणेसमाचार ऑनलाइन – 238 करोड़ रुपए के कर्ज घोटाले के सामने आने के बाद पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने शहर की अग्रज बैंक दि.सेवा विकास को-ऑप. बैंक के निदेशकों और प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शनिवार को इसकी खबरें प्रसारित होने के बाद न केवल पिंपरी कैम्प अपितु समस्त पिंपरी चिंचवड़ शहर में खलबली मच गई है। इस बीच आज बैंक के चेयरमैन एड अमर मूलचंदानी ने एक संवाददाता सम्मेलन के जरिए यह दावा किया है कि, बैंक में एक पैसे का भी घोटाला नहीं हुआ है। घोटाले का आरोप दागदार दामनवाले बैंक के विरोधियों ने राजनीतिक द्वेष और बैंक की सत्ता से दूर रहने की निराशा में लगाया है। उन्होंने यह दावा भी किया कि बैंक में जमा डिपॉजिटर्स की जमा पूंजी पूरी तरह से सुरक्षित है। इस तरह के आरोपों पर यकीन न करें, यह अपील भी उन्होंने की है।

पुलिस में दर्ज मामले और उसकी प्रसारित खबरों पर स्पष्टीकरण देने के लिए सेवा विकास बैंक के मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन आयोजित की गई थी। इसमें बैंक के चेयरमैन एड मूलचंदानी ने कहा कि, जिन 104 कर्ज खातों की ऑडिट रिपोर्ट की बात कही जा रही है, वे सभी कर्जदार डिफॉल्टर हैं। उनके द्वारा लिए गए कर्ज राशि से ज्यादा राशि की सिक्योरिटी बैंक के पास है। इनमें से कई खातेदारों से अब तक 66 करोड़ रुपए की वसूली भी की जा चुकी है। डिफॉल्टर्स की वजह से बैंक का एनपीए 30 फीसदी तक पहुंच गया है, यह बात स्वीकारते हुए कहा कि, 2010 से 2019 के जिस कालावधि में अनियमितता और घोटाले की बात कही जा रही है, इस कालावधि में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों की टीम ने छह बार बैंक के कामकाज और कर्ज खातों का ऑडिट किया है। साथ ही एनपीए कम करने के निर्देश दिए हैं। इसके अनुसार बैंक की कोशिशें लगातार जारी है।

उन्होंने यह सवाल भी किया कि अगर कोई घोटाला होता तो क्या वह रिजर्व बैंक के अधिकारियों की पैनी नज़र से बच पाता? 104 कर्ज खातेदारों की कर्ज राशि बकाया है न कि उसमें बैंक ने कोई घोटाला किया है। बैंक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करानेवाले धनराज आसवानी और उनके परिवार के लोगों ने बैंक के खिलाफ आज तक 37 मुकदमे हाईकोर्ट तक मे दर्ज किए। सभी मुकदमे खारिज किये जा चुके हैं। इसकी निराशा और राजनीतिक द्वेष के चलते अब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इससे साफ होता है कि झूठी शिकायतें और मुकदमों से वे लगातार बैंक को बदनाम करने की कोशिश में जुटे हैं। अगर ऐसा नहीं तो वे कभी भी बैंक में आकर रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं। आखिर वे भी तो बैंक के शेयरहोल्डर हैं और चेयरमैन रह चुके हैं। आसवानी की शिकायत पर सहकार विभाग के आयुक्त ने 14 फरवरी को सह निबंधक राजेश जाधवर को लेखापरीक्षण करने के आदेश दिए हैं। दो माह तक लेखापरीक्षण का काम चल रहा था। इस दौरान बैंक के निदेशक नरेंद्र ब्राह्मणकर ने मुंबई उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दाखिल की। 16 अप्रैल औऱ 13 जून 2019 को हुई सुनवाई में लेखापरीक्षण रिपोर्ट के कुछ मुद्दों पर स्थगिति आदेश दिया गया है। यह मामला न्याय प्रविष्ट रहने के बावजूद जाधवर ने आसवानी को सूचना अधिकार के तहत बैंक के कर्ज खातों और रिपोर्ट के कागजात मुहैया कराए। यह अदालत के आदेश की अवमानना है, इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी उन्होंने दी। इस संवाददाता सम्मेलन में बैंक के निदेशकों ने धनराज आसवानी और उनके परिवार के सदस्यों की पृष्ठभूमि पर भी सवाल उठाए।