बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीएमडी रविंद्र मराठे की गिरफ्तारी का अधिकार पुलिस को नहीं

– पुणे पुलिस की कारवाई पूरी तरह से गलत
– भारत सरकार के वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को गिरफ्तार करने अधिकार सीबीआई का
– आरबीआई से भी पुणे पुलिस ने नहीं ली थी परमिशन
पुणे समाचार
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीएमडी रविंद्र मराठे की गिरफ्तारी पूरी तरह से गलत है, रविंद्र मराठे को गिरफ्तार करना पुणे पुलिस का अधिकार नहीं है। भारत सरकार के सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी को गिरफ्तार करने का अधिकार सीबीआई को होता है, पुणे पुलिस रविंद्र मराठो को सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकती है, पुणे पुलिस की कारवाई को लेकर आज शिवाजीनगर सत्र न्यायालय में बचाव पक्ष के वकील ने सवालिया निशान खड़े कर दिए। रविंद्र मराठे की जमानत को लेकर कोर्ट कल फैसला सुनाएगा। पुणे पुलिस ने आज कोर्ट में रविंद्र मराठो को जमानत न मिले, इसके लिए अपील की थी, जिस पर बचाव पक्ष के वकील ने पुणे पुलिस की कारवाई को सिरे से गलत ठहराते हुए रविंद्र मराठे को जमानत मिलने पर युक्तिवाद किया।
रविंद्र मराठे की  जमानत को लेकर वकील हर्षद निंबालकर ने अपना बचाव पक्ष रखते हुए कोर्ट के समक्ष कहा पुणे पुलिस ने रविंद्र मराठे को गिरफ्तार करने से पहले आरबीआई से किसी भी तरह की अनुमित नहीं ली। जब किसी बैंक से संबंधित बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार करना होता है तो आरबीआई से अनुमति लेना होता है, सीधे सीधे भारत सरकार के सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी को गिरफ्तार करना पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यह अधिकार सिर्फ सीबीआई को है, पुलिस भले ही कोर्ट में रविंद्र मराठे को जमानत नहीं मिलने की अपील कर रही है पर बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में पुणे पुलिस की कारवाई को गलत ठहराते हुए रविंद्र मराठे की जमानत की मांग की है, जिस पर कोर्ट कल फैसला सुनाएगा।
डीएसके के घोटाले से बैंक ऑफ महाराष्ट्र का कोई भी लेना देना नहीं है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने डीएसके को लोन दी थी, बैंक ने डीएसके निवेशकों को किसी भी तरह का रिटर्न मिलने का वादा नहीं किया था, जिससे साफ जाहिर होता है कि बैंक का डीएसके के घोटाले मामले में कोई संबंध नहीं है। डीएसके बैंक ऑफ महाराष्ट्र का पुराना ग्राहक है, ग्राहक की पुराना ट्रैक रिकॉर्ड देखकर ही यह लोन दिया गया है। रविंद्र मराठे द्वारा व्यक्तिगत तरीके से यह लोन नहीं दिया गया है, जब भी बैंक कोई बड़ा लोन देती है तो वह बिजनेस स्तर पर डिसीजन लेकर बैंक की कमिटी लोन देती है। लोन नहीं भर पाने की वजह से डीएसके की प्रापर्टी को सील करने का काम बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने पहले सी ही शुरु कर दिया था। इसलिए डीएसके घोटाले मामले में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के अधिकारियों को आरोपी बनाना सरासर गलत है।
सरकारी वकील उज्वला पवार ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि अभी बहुत सी जांच बाकी है, इसलिए रविंद्र मराठे को जमानत नहीं दी नहीं जानी चाहिए। पर बचाव पक्ष के मजबूत युक्तिवाद के बाद कल के फैसले पर सभी की नजर टिकी हुई है।
डीएसके के बेटे शिरिष कुलकर्णी ने कोर्ट में किया सरेंडर
डीएसके के बेटे शिरिष कुलकर्णी ने आज कोर्ट में खुद को सरेंडर किया है, कोर्ट ने शिरिष कुलकर्णी को 2 जुलाई तक पुलिस कस्टडी सुनाई है। ज्ञात हो कि डीएसके केस में आरोपी के रूप में उनके बेटे शिरिष कुलकर्णी को भी पुणे पुलिस गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन अंतरिम जमानत के लिए शिरिष कुलकर्णी काफी चक्कर लगा रहे थे। आज शिरिष कुलकर्णी की पुलिस के समक्ष पेश होने की या फिर अंतरिम जमानत के लिए फिर से आवेदन देने की अंतिम तारीख थी। शिरिष कुलकर्णी ने खुद को कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने में ही बेहतर समझा, कोर्ट में सरेंडर करने के बाद 2 जुलाई तक पुलिस कस्टडी के आदेश कोर्ट ने दिए हैं।