नीतीश का नया फरमान…हिंसक प्रदर्शन किया तो बिहार में न नौकरी मिलेगी, न ठेका 

पटना. ऑनलाइन टीम : बिहार की सियासत फिर गर्म है। मामला नौकरी और ठेके से जुड़ा है। सरकारी ठेके में चरित्र सत्यापन को अब अनिवार्य कर दिया गया है। बिहार पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल ने एक आदेश में कहा है, यदि कोई व्यक्ति किसी विधि व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम, इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पत्रित (चार्जशीट) किया जाता है, तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए। ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी, ठेके आदि नहीं मिल पाएंगें।

विदित हो कि पटना में इंडिगो एयरलाइंस के एयरपोर्ट मैनेजर रूपेश सिंह की हत्या में ठेकेदारी विवाद की बात सामने आने के बाद सरकारी ठेके में चरित्र सत्यापन पर बल दिया गया था। इस बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया था कि सरकारी ठेके में चरित्र सत्यापन जरूरी होगा। उक्त बैठक में डीजीपी भी शामिल हुए थे। इसके बाद अब पुलिस मुख्यालय ने यह आदेश जारी किया है।

पुलिस के इस आदेश पत्र पर बिहार में सियासत गर्म होती दिख रही है। विपक्ष इसे आम जनता के सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन मान रहा है तो सत्ता पक्ष इसे कानून व्यवस्था के हित में उठाया गया कदम बता रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने इसे लेकर अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना हिटलर व मुसेालिनी से करते हुए सरकार पर हमला बोला है। तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि युवा शक्ति से घबराई बिहार सरकार युवाओं को डराना चाहती है।

पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने तेजस्वी के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि धरना, प्रदर्शन कर आंदोलन करना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है। उसकी आड़ में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले, तोड़फोड़ करने वाले उपद्रवी तत्वों के खिलाफ अगर कार्रवाई की बात हो रही हैं तो उपद्रवियों को मिर्ची लग रही है। दूसरी तरफ, राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस आदेश की कॉपी शेयर करते हुए लिखा, मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे।