Nitin Gadkari | गडकरी के प्रस्ताव से किनारा ; सिंहगढ़ रोड में बनेगा एक मंजिल का फ्लाईओवर 

पुणे : Nitin Gadkari | सिंहगढ़ रोड (Sinhagad Road) में बनने वाले फ्लाईओवर की रचना में बदलाव कर दोमंजिली फ्लाईओवर (Flyover) बनाने का निर्देश केंद्रीय सड़क परिवहन व हाईवे मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने दिए थे।  यहां पर मलेशियन टेक्नोलॉजी (Malaysian Technology) का  सिंहगढ़ रोड इस्तेमाल करना मुश्किल होने की जानकारी सामने आई है।  उसका इस्तेमाल करने पर करीब 25 करोड़ रुपए खर्च बढ़ जाएगा।

 

ऐसे में गडकरी दवारा दिए गए विकल्प के बजाय मनपा पहले से तय प्लान के मुताबिक काम करेगी।  इसकी तैयारी मनपा (Municipal Corporation) ने शुरू की है।  धायरी, वडगांव, खडकवासला, हिंगने, नरहे जैसे क्षेत्र में जाने वाले नागरिकों के लिए वैकल्पिक मार्ग नहीं होने की वजह से सिंहगढ़ पर भारी ट्रैफिक जाम लगता है।  इस जाम से बचने के लिए राजाराम पुल (Rajaram Bridge) से फन टाइम थियेटर तक फ्लाईओवर बनाया जाएगा।  इसका भूमि पूजन नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के हाथों सितंबर महीने में किया गया था।  लेकिन गडकरी ने कहा था कि इस फ्लाईओवर को और अच्छे तरीके से बनाया जा सकता है।

 

सके अनुसार मनपा (Municipal Corporation) ने ट्रायल शुरू किया था।  इसे लेकर पिछले महीने महापौर मुरलीधर मोहोल (Murlidhar Mohol) ने बैठक कर समीक्षा की थी।  गडकरी के प्रस्ताव पर राजाराम पुल से फन टाइम थियेटर तक मनपा ने एक फ्लाईओवर बनाना प्रस्तावित किया।  इस पर 118 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। लेकिन इसके बजाय मलेशियन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर इस सड़क को दो मंजिली बनाई जाएगी।  इसमें मेट्रो के लिए योजना बनाना संभव है।  इस टेक्नोलॉजी की वजह से पिलर की संख्या कम होगी।  यह काम 118 करोड़ रुपए में होगा। इसलिए इस पर विचार करने का सुझाव दिया था।
गडकरी द्वारा दिए गए सुझाव के मुताबिक मनपा ने संबंधित एडवाइजर कंपनी (Advisor Company) का प्लान, मेट्रो  एलाइनमेंट (Metro Alignment) व खर्च का जानकारी दी. इसे लेकर मनपा के अधिकारियों व ;कंपनी की बैठक हुई।  पिलर की संख्या कम करने पर फ्लाईओवर की चौड़ाई कम तो नहीं होगी, इस पर मनपा ने ध्यान दिया।  इस प्रस्ताव की स्टडी करने के बाद इस सड़क पर 118 करोड़ में दो मंजिली फ्लाईओवर बनाना संभव नहीं है और मलेशियन टेक्नोलॉजी यहां उपयुक्त साबित नहीं होगी।

 

 

 इसका उपयोग जिस जगह पर पिलर के फाउंडेशन हेतु ज्यादा खुदाई करनी पड़ती है वहां पर किया जाता है।  खासकर उत्तर भारत में    कीचड़ का मैदान होने की वजह से नदी पर पुल बनाते वक़्त इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने का मुद्दा खड़ा हो गया।  ऐसे में इसका इस्तेमाल इस पुल के लिए नहीं होने की बात साफ हो गई है।

 

 

 

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