टैंकर लॉबी के हित के लिए पानी की कृत्रिम किल्लत

पुणे : समाचार ऑनलाइन –  पवना बांध के लबालब रहने के बावजूद पिंपरी चिंचवड़ शहर में गहन बन चुकी पानी की किल्लत के मसले पर शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे ने भी आक्रामक रुख अपना लिया है। उन्होंने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह आरोप लगाया कि शहर की टैंकर लॉबी के हित के लिए कृत्रिम किल्लत निर्माण की गई है। मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर की कार्यक्षमता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पानी की किल्लत के लिए मनपा आयुक्त की अकार्यक्षमता को जिम्मेदार ठहराया है।

पिंपरी चिंचवड शहर में पानी की किल्लत के मुद्दे पर आज मावल के सांसद श्रीरंग बारणे ने मनपा आयुक्त श्रावण हार्डीकर से मुलाकात की। इसके पश्चात संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में उन्होंने उक्त आरोप लगाते हुए मनपा आयुक्त को 15 दिनों का अल्टीमेटम देकर चेतावनी दी है कि शहर में पानी की किल्लत दूर न हुई तो इसके आगे की आयुक्त से मुलाकात शिवसेना स्टाइल में होगी। उन्होंने मनपा अधिकारियों पर भी तोप दागी और कहा कि, अधिकारी अब ठेकेदार या ठेकेदारों के पार्टनर बन गए हैं। पानी योजना के नाम पर आज तक अरबों- खरबों रुपये पानी की तरह बहाया गया है, मगर समस्या ज्यों की त्यों बनी है।

उन्होंने कहा कि, जेएनयुआरएम योजना, अमृत योजना, कई बार पानी मीटर को बदलने के लिए करोड़ो के टेंडर जारी किये गए। हर ठेके में बराबर के हिस्सेदार रहे अधिकारियों ने मलाई तो चख ली मगर किल्लत यथाशक्ति है। मनपा आयुक्त कहते हैं कि जल वितरण में 40 प्रतिशत लीकेज है रहने के कारण पानी किल्लत है। 40 प्रतिशत लीकेज यह उनकी और प्रशासन की निष्क्रियता साबित करता है, क्योंकि यह कोई प्राकृतिक लीकेज नहीं है। हर बार प्रशासन टेक्निकल कारणों का हवाला देकर बच निकलता है। आयुक्त ने पानी समस्या पर सर्वदल विशेष महासभा बुलाने का आश्‍वासन दिया है। मगर सांसद बारणे इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने किल्लत दूर करने के लिए 15 दिनों की डेडलाइन देकर उक्त चेतावनी दे दी।

बारणे ने यह भी कहा कि, शहर में बडे पैमाने में टैंकर लॉबी सक्रिय है। जब तक इस लॉबी पर पूर्ण रुप से अंकुश नहीं लगाया जाता तब तक पानी की किल्लत बनी रहेगी। बांध में पानी है, टैंकरों में पानी है मगर लोगों के नलों में पानी नहीं है। टैंकर से सप्लाई पानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, टैंकर से आने वाले पानी की जांच होनी चाहिए। समान जलापूर्ति के नाम पर जितनी परियोजनाएं चलाई गई, टेंडर जारी किए गए उनकी जांच की जानी चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे अनाधिकृत नल कनेक्शन धारकों पर आपराधिक मामला दर्ज करने के पक्ष में नहीं है।नागरिक शहर का करदाता है, पानी मांगना उसका मौलिक अधिकार है। अगर प्रशासन नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में पानी देने में असमर्थ है तो प्रशासन और उसका मुखिया दोनों निष्क्रिय हैं।