बंगाल में नया वैरिएंट हुआ घातक, अचानक  बढ़ी कोरोना से मरने वालों की तादाद

ऑनलाइन टीम. कोलकाता : हाल ही में राजनीतिक उठा-पटक से उबरे पश्चिम बंगाल को कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। नया वैरिएंट तबाही मचा रहा है। यह सीधे फेफड़ों पर वार कर रहा है और इसके चलते संक्रमित के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मौत हो जा रही है। इससे पहले ज्यादातर कोरोना मरीजों के वायरस की उपस्थिति या वैक्सीनेशन से एंटीबॉडी विकसित हो गई थी, लेकिन इस बार वायरस इम्युनिटी सिस्टम को तोड़ते सीधे फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है।

यही कारण है कि दूसरी लहर अन्य राज्यों के मुकाबले पश्चिम बंगाल में ज्यादा जानलेवा साबित हो रही है। पिछले दो हफ्तों से देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित घर में ही कुछ ही घंटों में मौत के मुंह में समा जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक से मौतों के पीछे चार वजहें हैं। पहला हार्ट अटैक, दूसरा-पल्मोनरी एंबोलिज्म (फेफड़ों की प्रमुख धमनियां खून के थक्के जमने से अवरुद्ध हो जाती है), तीसरा है न्यूमोथोरैक्स यानी फेफड़े सुकड़ने से और चौथा अचानक से दिल की धड़कन तेजी होना।

सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (CCMB) इसे समझने की कोशिश में थी ही कि इसी बीच ट्रिपल म्यूटेंट की चर्चा होने लगी। बता दें कि पश्चिम बंगाल में SARS-COV-2 के इस नए वेरिएंट का पता लगा है। ये वायरस के तीन अलग-अलग स्ट्रेन का एक कॉम्बिनेशन है या इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि वायरस के तीन रूपों ने मिलकर एक नया अवतार ले लिया। वैज्ञानिकों ने ट्रिपल म्यूटेंट को B.1.618 नाम दिया है। उनका कहना है कि ट्रिपल म्यूटेंट ज्यादा चालाक हो सकता है। शुरुआती जांच में माना जा रहा है कि इसमें पाया जाने वाला जेनेटिक वेरिएंट ज्यादा चालाक है और उन लोगों के शरीर पर भी हमला कर सकता है, जिनके शरीर में पहले ही एंटीबॉडी बन चुकी है। यानी कोरोना से एक बार ठीक हो चुके लोग या फिर शायद वैक्सीन ले चुके लोग भी इसके हमले का शिकार हो सकते हैं। हालांकि ये बात भी अभी पुष्ट नहीं है।

कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि दूसरी लहर में ज्यादा गंभीर रोगियों की भी अचानक से मौतें हो रही हैं। तेजी से ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल गिरने से घर में या अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में इन मरीजों की मौत हो रही है। इसके चलते इन मरीजों को कोरोना का ट्रीटमेंट करने का भी समय नहीं मिल पा रहा है।  कोरोना के नए भारतीय वैरिएंट में इस तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं।