New Scrap Policy | नई स्क्रैप पॉलिसी से उद्योगननगरी के 91 हजार वाहन कबाड़ में !

पिंपरी (Pimpri News), संवाददाता। केंद्र सरकार (Central government) ने वाहनों की उम्र तय कर नई स्क्रैप पॉलिसी (New Scrap Policy) जारी की है। इससे पिंपरी चिंचवड़ (Pimpri Chinchwad) शहर समेत पिंपरी चिंचवड़ उप प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (Pimpri Chinchwad Sub Regional Transport Office) (डिप्टी आरटीओ) के अंतर्गत आनेवाले क्षेत्रों में रजिस्टर्ड वाहनों में से लगभग 91 हजार वाहन कबाड़ (स्क्रैप) में चले जायेंगे। पिंपरी चिंचवड़ (Pimpri Chinchwad) शहर में 15 वर्षों से ज्यादा पुराने कुछ वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं। केंद्र सरकार की नई स्क्रैप पॉलिसी (New Scrap Policy) पर अमल हुआ तो ये सभी वाहन कबाड़ बन जाएंगे, इसकी चिंता वाहनधारकों को सता रही है।

 

औद्योगिक क्षेत्रों के कारण शहर में बड़े पैमाने पर शहरीकरण हुआ। इससे पिंपरी चिंचवड़ शहर में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शहर में ऑटोमोबाइल कंपनियां (automobile company) बड़ी संख्या में होने के कारण वाहनों का उत्पादन भी यहीं होता है। इसलिए पिंपरी चिंचवड़ का अलग डिप्टी आरटीओ (Deputy RTO) बनाया गया। इसमें पिंपरी चिंचवड़ शहर, मावल तहसील तथा उत्तर पुणे जिले के इलाकों का समावेश किया गया है। पिंपरी चिंचवड़ डिप्टी आरटीओ (Pimpri Chinchwad Deputy RTO) के अंतर्गत 1 जनवरी 2006 तक 59,243 दोपहिया तथा 32,725 चारपहिया कुल 91,968 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ। जबकि 1 जनवरी 2011 तक 37,339 ट्रक आदि भारी वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।
केंद्र सरकार की नई स्क्रैप पॉलिसी की अमलबाजी करने पर 91 हजार पुराने वाहन कबाड़ में जाने की संभावना है, इससे वाहनधारकों में चिंता का माहौल बना हुआ है। हालांकि पुरानी गाड़ी को कबाड़ बनाकर नया वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को रियायत दी जा सकती है। इसके लिए नए वाहन की कीमत में 15 प्रतिशत रियायत वाहनमालिक को मिल सकती है. वाहन को कबाड़ बनाने के लिए शहर में कुछ स्क्रैप सेंटर शुरू किए जाएंगे जहां पुराने वाहन कबाड़ बनाए जा सकेंगे। औद्योगिक इस्तेमाल के लिए वाहन, खेती से संबंधित वाहन और निजी वाहनों की बड़ी संख्या शहर और आस-पास के इलाकों में हैं।

उनकी नियमित जांच की जाती है और नियमों के अनुसार उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है। दोपहिया और चारपहिया जैसे निजी वाहनों की 15 वर्षों की सीमा है। उसके बाद ऐसे वाहनों की जांच की जाती है। उसमें संबंधित वाहन की स्थिति के अनुसार दो अथवा तीन वर्षों के लिए प्रमाणपत्र (certificate) दिया जाता है। वाहन इस्तेमाल के योग्य न होने पर यह प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता।

 

 

Smart City Project | स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का खर्च 229 करोड़ से बढ़ा

Pune Weather Forecast | पुणे में तापमान बढ़ने की संभावना