जुलमी कानून वापस लेने तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प
पिंपरी/पुणे। केंद्र सरकार ने हालिया सत्र में प्रचलित 29 श्रम कानून रद्द कर मजदूर हित विरोधी नए चार कानून पारित किए। इन कानूनों को रद्द कर पहले के श्रम कानून की अमलबाजी की जाय, वित्त और रक्षा विभाग का निजीकरण और ठेकेदारीकरण रद्द करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को सभी क्षेत्रों के विभिन्न मजदूर संगठनों ने मिलकर घोषित की गई राष्ट्रीय हड़ताल का पुणे और पिंपरी चिंचवड़ में खासा असर नजर आया। इस देशव्यापी हड़ताल को समर्थन घोषित करते हुए पुणे जिला कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति के अध्यक्ष कैलास कदम ने बताया कि इस हड़ताल में यह संकल्प किया गया कि जुल्मी कानून रद्द करने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
इस हड़ताल में पुणे जिले के औद्योगिक बसाहटों के इंटक, आयटक, सिटू, भारतीय कामगार सेना, श्रमिक एकता महासंघ, राष्ट्रीय श्रमिक एकता महासंघ, युटीयुसी, सर्व केंद्रीय मजदूर संगठनों से संलग्न और स्वतंत्र मजदूर संगठन, बैंक, बीमा, बिजली बोर्ड, रक्षा समेत सार्वजनिक क्षेत्र के मजदूर, आंगनबाड़ी-आशा, आरोग्य परिचारक, मार्केट यार्ड संबंधित कर्मचारी-हमाल और घरेलू कर्मचारियों के अलावा ग्रामीण इलाकों में किसान भी शामिल हुए। कोरोना की पृष्ठभूमि पर कोई मोर्चा या सभा नहीं आयोजित की गई थी सभी मजदूरों ने मास्क लगाकर सड़क के दोनों तरफ मानवी श्रृंखला बनाकर केंद्र सरकार की श्रमिकों के हित विरोधी नीतियों का विरोध किया।
पिंपरी चौक में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक के पास पुणे व पिंपरी चिंचवड औद्योगिक परिसरों के सभी संगठित व असंगठित मजदूर संगठनों की ओर से केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन किया गया। हजारों मजदूरों ने मानवी शृंखला बनाकर सरकार विरोधी नारेबाजी से निषेध के बैनर्स झलकाये। इसी प्रकार से पुणे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने, रांजणगांव यश इन चौक, चौफुला (पुणे सोलापूर महामार्ग), बारामती (एमआईडीसी मुख्य चौक), पुणे अलका टॉकिज चौक से लक्ष्मी रोड सिटी पोस्ट चौक तक, घरेलू मजदूर व असंगठित मजदूरों की ओर से हडपसर ओवर ब्रिज तले, कोथरूड कर्वे स्मारक, सिंहगड रोड पु.ल. देशपांडे उद्यान, येरवडा मच्छी मार्केट, कात्रज कोंढवा मार्ग आदि जगहों पर आंदोलन किया।
इस आंदोलन में वरिष्ठ मजदूर नेता डॉ. बाबा आढाव, अजित अभ्यंकर, भारतीय कामगार सेना के महासचिव रघुनाथ कुचिक, पिंपरी चिंचवड के उपमहापौर केशव घोलवे, शिवाजी खटकाले, वीवी कदम, वसंत पवार, मनोहर गडेकर, नितीन पवार, अनिल औटी, उदय भट, किरण मोघे, सुमन टिलेकर, चंद्रकांत तिवारी, दिलीप पवार, दत्ता येलवंडे, किशोर ढोकले, अनिल रोहम, यशवंत सुपेकर, शांताराम कदम, शैलेश टिलेकर, रघुनाथ ससाणे, शुभा शमीम, विश्वास जाधव, सुनिल देसाई, सचिन कदम, गिरीश मेंगे, शशिकांत धुमाल, या पूर्व नगरसेवक मारुती भापकर, मानव कांबले आदि शामिल हुए। संसदीय सत्र में, सरकार ने विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना किसी चर्चा के मौजूदा श्रम कानूनों को रद्द करके पूंजीपतियों के पक्ष में नए श्रम कानून पारित किए। इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020, सोशल सिक्योरिटी कोड 2019 और द इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020 शामिल हैं। इससे श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा समाप्त हो जाएगी, श्रमिकों को गुलाम बनाया जाएगा और नियोक्ताओं को तानाशाही का अधिकार दिया जाएगा, यह आरोप इस दौरान लगाया गया।