राष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी कर रही खेती ; मैट से काली मिटटी में आई ; लॉकडाउन के कारण हुई आर्थिक स्थिति ख़राब 

सांगली, 4 जून : राष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा में चार  बार पदक हाशिल कर चुकी महिला पहलवान संजना बागड़ी फ़िलहाल गन्ने की खेती कर रही है।  मैदान बंद होने की वजह से आर्थिक तंगी आ गई. इस वजह से कुश्ती के मैट के बाद अब काली मिटटी  में पसीना बहाना पड़ रहा है।

महिला कुश्ती के  क्षेत्र में संजना ने बड़ा नाम कमाया है।  दिल्ली, पुणे, पटना, बेल्लारी में राष्ट्रीय स्पर्धा में पदक जीता है।  लेकिन कोरोना की वजह से स्पर्धा रद्द हो गया।  दूसरे शहरों की यात्रा रद्द हो गई और मैदान बंद हो गए। इसके कारण आर्थिक आय थम गई।  स्पर्धा में मानधन व मिले पुरस्कार से भोजन और प्रैक्टिस का खर्च निकलता था।  वह अब पूरी तरह से बंद हो गया है।

जिद : खर्च जुटाना मुश्किल होने के बावजूद प्रैक्टिस नहीं रुकी।  सांगली के पास तुंग (तहसील – मिरज ) में संजना रहती है।

पिता खंडू कृष्णा नदी से मछली मारकर परिवार चलाते है. बारहवीं तक पढाई की संजना की प्रैक्टिस और आहार पर हर महीने 50 हज़ार रुपए तक होता है।  अब उन्हें पांच सात हज़ार में पूरा करना पड़ रहा है।  इस स्थिति में भी उनकी प्रैक्टिस नहीं रुकी है।

मैदान बंद होने की वजह से प्रैक्टिस और कमाई दोनों रुक गई है।  खर्च चलाने के लिए खेत में पसीना बहाने के आलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।  इससे शारीरिक मेहनत  हो जाता है।

– संजना बागड़ी, युवा महिला पहलवान