पुलिस महानिदेशक और जिलाधिकारी को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का समन्स जारी

पुलिस आयुक्त की गैरहाजिरी पर आयोग ने जताई कड़ी नाराजगी
पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – महार वतन की जमीन हड़पने के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की सुनवाई में पिंपरी चिंचवड़ पुलिस आयुक्त व पुणे जिलाधिकारी के उपस्थित न होने से आयोग ने कड़ी नाराजगी जताते हुए आयुक्त की ओर से सुनवाई में पहुंचे पुलिस उपायुक्त व जिला प्रशासन के अधिकारियों को आयोग ने फटकार लगाई है। अब इस मामले में 7 अगस्त को अगली सुनवाई होने जा रही है जिसमें आयोग ने राज्य पुलिस महानिदेशक और पुणे के जिलाधिकारी को हाजिर रहने को लेकर समन्स जारी किया है।
इसके अलावा शिकायतकर्ता जमीन मालिक सागर अंकुश जाधव की शिकायत दर्ज करने में टालमटोल करनेवाले पुलिसवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और जमीन मालिक की शिकायत के अनुसार मामला दर्ज करने के साथ ही उसे पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश आयोग ने दिये हैं। इसी के साथ में संबंधित जमीन पर तैनात पुलिस बंदोबस्त हटाने और जमीन मालिक सागर जाधव के वहां प्रवेश करने पर लगाई गई रोक हटाने के आदेश भी आयोग ने पुलिस विभाग और जिला प्रशासन को दिए हैं।
जमीन हड़पने की कोशिशों में बिल्डर
रावेत के सर्वे नं 72/73 में सागर जाधव के पुरखों की महार वतन की जमीन है, जहां वे खेती- बाड़ी कर अपने परिवार का गुजारा करते है। इस जमीन पर पिंपरी चिंचवड शहर के एक बडे बिल्डर की नजर पडी और जमीन को स्थानीय पुलिस और स्थानीय गुंडों की मदद से हडपने की कोशिश में है। पुलिस ने जाधव की दरकार नहीं सुनी, जिसके चलते उन्होंने राष्ट्रीय अनुसुचित जाति आयोग के पास 2013 में शिकायत की। आयोग की सुनवाई में यह साबित हो चुका है कि जमीन पर सागर अंकुश जाधव परिवार का मालिकाना हक है। हालांकि बिल्डर और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से जाधव परिवार का उत्पीडन किया जा रहा है।
पुलिस के साथ मिलीभगत
बिल्डर ने पुलिस के साथ मिलकर जाधव परिवार को उसकी अपनी जमीन पर जाने से रोक लगा दी और पुलिस ने वहां अपना पहरा लगा दिया। यहां तक कि उन्हें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती का कार्यक्रम तक नहीं करने दिया और इस साल 2 मार्च को उनकी झोपडी को तोडकर सारा सामान फेंक दिया गया. जमीन व खेती की रखवाली कर रहे वॉचमैन को मारपीट कर भगाया गया। इसकी शिकायत लेकर जाधव देहूरोड पुलिस थाने गए तो पुलिस ने शिकायत लेने से मना कर दिया। आखिर में सागर जाधव ने राष्ट्रीय अनुसुचित जाति आयोग को 6 मई को एक पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई।
7 अगस्त को अगली सुनवाई
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए पुणे के जिलाधिकारी और पिंपरी चिंचवड पुलिस आयुक्त को इस मामले की पूरी रिपोर्ट के साथ 12 जून को दिल्ली में आयोग के सामने पेश होने की नोटीस जारी की थी। इस सुनवाई में पुलिस आयुक्त के बजाय उनके प्रतिनिधि के तौर पर उपायुक्त विनायक ढाकणे और जिलाधिकारी की ओर से नायब तहसीलदार विकी परदेशी उपस्थित हुए। इस पर आयोग ने कड़ी नाराजगी जताई और उन्हें फटकारते हुए इस मामले में 7 अगस्त की अगली सुनवाई में राज्य के पुलिस महानिदेशक और पुणे के जिलाधिकारी को उपस्थित रहने के आदेश जारी किए हैं।