Narayan Rane | अन्याय सहन नहीं करने के स्वाभाव के कारण राणे शिवसेना से बाहर आ गए, पवार ने की थी प्रशंसा 

मुंबई, 9 जुलाई : (Narayan Rane) मोदी सरकार (Modi government) के केंद्रीय मंत्रिमंडल (Central Cabinet) का विस्तार बुधवार को सम्पन्न हुआ।  राष्ट्रपति भवन (President’s House) में 43 सांसदों ने मंत्रिपद (ministerial) की शपथ ली।  इनमे से 4 मंत्री महाराष्ट्र (Maharashtra) से है।  इनमें एक कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) जबकि तीन राज्यमंत्री शामिल है।  नारायण राणे (Narayan Rane) को कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) पद दिया गया है।  उन्हें लघु और मध्यम उधोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।  बताया जा रहा है कि कोंकण (Konkan) में शिवसेना (Shiv sena) के सामने चुनौती खड़ी करने के लिए राणे (Narayan Rane) को कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) पद के जरिये ताकत दी गई है। इसलिए अब राणे ने शिवसेना (Shiv sena) क्यों छोड़ी और उनका शिवसेना से मतभेद की बातें फिर से ताज़ा हो रही है।

शिवसेना (Shiv sena) की जब राज्य में सत्ता थी तो राणे (Narayan Rane) मुख्यमंत्री थे।  इसके बाद जब कांग्रेस (Congress) की सत्ता आई तो उन्होंने पार्टी बदलकर राजस्व मंत्री पद पाया और अब भाजपा (BJP) में जाकर कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) बन गए है।  इस पर राणे ने कहा कि मैं 39 वर्ष तक शिवसेना में था।  बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने मुझे कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री बनाया था।  लेकिन मैंने कुछ मांगा नहीं था।  लेकिन उन्होंने मुझे दिया।  बालासाहेब को लेकर मेरे मन में सम्मान है।

इस बीच नारायण राणे (Narayan Rane) का झंझावत नामक ऑटोबायोग्राफी (autobiography) प्रकाशित हुई।  इस पुस्तक की प्रस्तावना एनसीपी (NCP) से मुखिया शरद पवार (Sharad Pawar) ने लिखी है. इसलिए इस पुस्तक का विमोचन शरद पवार (Sharad Pawar) के हाथों किया गया।
इस पर शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा था कि उन्हें  पांच वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद (chief minister post) मिला था।  अन्याय सहन नहीं करने के स्वाभाव की वजह से शिवसेना (Shiv sena) से वे बाहर हो गए. गडकरी ने कहा था कि मनपा स्कूल में विधार्थियों को मिलने वाले मेरिट की तरह राणे का जीवन है।

नारायण राणे (Narayan Rane) ने जब शिवसेना (Shiv sena) छोड़ने का निर्णय लिया उस वक़्त हमारे बीच थोड़ी घुसरफुसर हुई थी।  हमने समझाया था कि वह शिवसेना नहीं छोड़े।  उस वक़्त राणे की आंखों में आंसू था।  उन्होंने बताया था कि वह यह निर्णय ख़ुशी से नहीं ले रहे है।  इसकी याद गडकरी (Gadkari) ने इस कार्यक्रम में ताज़ा की थी।  इस मौके पर दिए भाषण में नारायण राणे (Narayan Rane)  ने केवल बालासाहेब के बारे में बोला था.

1मेरे माता-पिता ने जितना मुझसे प्रेम किया उससे अधिक प्रेम बालासाहेब ठाकरे ने किया।

शिवसेना के प्रमुख नेतृत्व में बदलाव होने से राणे के जीवन में बड़ा बदलाव आ गया।

जिस तरह से उनके राजनीतिक जीवन में बड़ा ब्रेक लग गया था वह भाजपा में आने के बाद फिर से बड़ा अपने रूप में आ गए है.

 

 

 

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