Nagpur News | मां तो आखिर मां होती है… बेटी को बचाने बाघ से भी ले ली पंगा…बाघ के जबड़े से बचाया बेटी का सिर

नागपुर : ऑनलाइन टीम – (Nagpur News) सुबह 5.30 बजे घर में शौचालय न होने के कारण माँ जंगल में चली गई। (Nagpur News) पीछे-पीछे पांच साल की बच्ची भी निकल गयी।  इस दौरान अचानक झाड़ी में बैठे एक बाघ ने बच्ची पर हमला (Attack) कर दिया। वह मां-मां कहकर जोर-जोर से रोने लगी। मां जैसे ही पीछे मुड़ी उसने देखा बाघ के जबड़े में बच्ची का सिर था। यह देखकर वह पूरी तरह घबरा गयी। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी। उसने पास की एक बांस की छड़ी उठाई और उसकी पूंछ पर मारा। बाघ ने बच्ची को छोड़ मां पर हमला कर दिया।

उसने लाठी से बाघ के साथ मुकाबला की। बाघ ने फिर से बच्ची को जबड़े से पकड़ा लिया। फिर मां ने अपनी पूरी ताकत लगाकर बाघ से भीड़ गयी। डंडे से वह बाघ को मारती रही। ये देख बाघ भी बाद में डरा और वहां से भाग निकला। बाघ के जबड़े से बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने वाली मां शुक्रवार को बच्ची के चेहरे पर इलाज के लिए सरकारी दंत चिकित्सालय आई थी। उस समय उसने डॉक्टर को अपनी स्थिति के बारे में बताया। जिसके बाद वहां मौजूद डॉक्टर और लोगों ने उनके हिम्मत को सलाम किया।

घटना चंद्रपुर जिले से करीब सात किलोमीटर दूर जूनोना गांव की है। उस बहादुर मां का नाम अर्चना संदीप मेश्राम है। 1 जुलाई को हुई इस घटना की जानकारी देते समय उनके चेहरे पर भय के भाव थे। उन्होंने कहा कि बाघ का जबड़ा अंदर ही अंदर कांप रहा था जब उसने लड़की के सिर को खून से लथपथ देखा। लेकिन, पता नहीं हिम्मत कहां से आई, मैंने फैसला किया कि मैं अपनी लड़की को बाघ की घास नहीं बनने दूंगी। इसलिए जैसे ही उससे हाथ में बांस की लाठी मिली उसने बाघ पर हमला कर दिया।

दूसरी बार जब बाघ ने लड़की को पकड़ा  उन्होंने तेज आवाज में बाघ पर हमला कर दिया। मुझे यह भी नहीं पता कि वह शक्ति कहां से आई। उन्होंने कहा- बाघ को जंगल में भागते देख मैं हैरान रह गयी। उसने खून से लथपथ बच्ची को गले से लगा लिया और गांव की तरफ भागी। पति की मदद से वह फौरन जिला अस्पताल पहुंची। वहां के डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार किया। बच्ची खतरे से बाहर है।

चेहरे की हड्डियां कई जगह टूटी –
15 दिनों तक चंद्रपुर के जिला अस्पताल में इलाज के बाद वहां के डॉक्टर ने उसे आगे के इलाज के लिए नागपुर के सरकारी डेंटल अस्पताल ले जाने को कहा। शुक्रवार को नागपुर पहुंचे हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अभय दातारकर से मुलाकात की। उन्होंने साहस की सराहना करते हुए लड़की की जांच की। उन्होंने सर्जरी करने का फैसला किया क्योंकि उन्हें एचएक्स-रे में कई जगहों पर चेहरे की टूटी हुई हड्डियां मिलीं।

बाघ की सबसे बड़ी ताकत उसके जबड़े में होती है। शिकार, घसीटने आदि के लिए जबड़ों का उपयोग करता है। लड़की का सिर छोटा होने के कारण बाघ के ऊपरी और निचले जबड़े मस्तिष्क में नहीं घुसे। इससे बच्ची की जान बच गई। लेकिन, चेहरे का ऊपरी जबड़ा कई जगह टूटा हुआ था। लड़की की दाहिनी आंख बंद नहीं हो  रही है। युवती को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया है। सोमवार को उसकी सर्जरी की जाएगी।