मेरा लक्ष्य रैंकिंग नहीं, ओलम्पिक पदक : बजंरग पूनिया (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – युनाइटेड वल्र्ड रेसलिंग रैंकिंग के 65 किलोग्राम भारवर्ग में दुनिया के नम्बर-1 पहलवान भारत के बजरंग पूनिया का कहना है कि वह अपनी हालिया रैंकिंग से काफी खुश हैं लेकिन रैकिंग उनका लक्ष्य नहीं, वह तो देश के लिए ज्यादा से ज्यादा पदक, खासकर ओलम्पिक पदक जीतना चाहते हैं।

बजंरग ने कहा कि देश के लिए अधिक से अधिक पदक जीतने को लेकर वह काफी फोकस्ड हैं और इसीलिए रैंकिंग को कभी अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने देना चाहते और खुद को बेहतर से बेहतरीन बनाने के लिए हर समय अपना ध्यान मैट पर लगाए रखना चाहते हैं।

बजरंग ने आईएएनएस से कहा, “वर्ल्ड नम्बर-1 बनकर अच्छा लगता है लेकिन मुझ पर उसका दबाव नहीं रहता। मेरे लिए सही मायने में रैंकिंग मायने नहीं रखता। मेरा लक्ष्य सिर्फ सर्वश्रेष्ठ देना और देश के लिए अधिक से अधिक पदक जीतना है। रैंकिंग में नंबर-1 हैं, यह सोच कर अच्छा लगता है कि इससे ज्यादा कुछ नहीं लेकिन मेरा लिए असल लक्ष्य कुछ और है।”

यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने इस बार जो रैकिंग निकाली है, उसमें इस बार भारत के 15 पहलवान शामिल हैं। इससे पहले कभी भारत के इतने पहलवानों ने शीर्ष-10 में जगह नहीं बनाई थी। बजरंग अपने साथी खिलाड़ियों के भी काफी खुश हैं और उनका मानना है कि इससे बाकी के खिलाड़ियों को अच्छा करने की प्ररेणा मिलेगी।

बजरंग ने कहा, “इस बात से साबित होता कि भारतीय कुश्ती आगे बढ़ रही है। हमारे पहलवान शीर्ष-10 में हैं। यह भारत के लिए अच्छी खबर है। यह खबर बाकी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत होगी कि ये लोग नंबर-1, नंबर-2 हैं। इससे हर किसी को आगे जाने के लिए आत्मबल मिलेगा।”

बजंरग ने पिछले महीने की शुरूआत में न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वॉयर पर मुकाबला लड़ा था, जिसमें वह अमेरिका के यिआनी दियाकोमिहालिस से 8-10 से हार गए थे। हार के बाद भी बजरंग ने इतिहास रचा था। वह मैडिसन स्क्वॉयर पर लड़ने वाले भारत के पहले पहलवान बन गए थे।

बजंरग ने कहा कि मैडिसन स्क्वॉयर पर लड़ना उनके लिए अलग तरह का अनुभव रहा।

बकौल बजरंग, “मेरा मेडिसन स्क्वॉयर का अनुभव शानदार था। मैं भारत का पहला पहलवान था, जो वहां जाकर खेला। मुझे अमेरिकी कुश्ती महासंघ ने वहां आमंत्रित किया था। मैंने वहां पर काफी कुछ सीखा। मुकाबला काफी कड़ा हुआ था। एक ऐसा अनुभव रहा, जिसे मैं हमेशा याद रखूंगा। भारत के लोग वहां मैच देखने आए थे लेकिन ज्यादा नहीं थे। जितने भी थे सभी ने मेरा हौसला बढ़ाया।”

बजरंग खुद को निखारने और अधिक से अधिक एक्सपोजर के लिए लगातार विदेशों में ट्रेनिंग करते रहते हैं। वह हाल ही में वह अमेरिका में ट्रेनिंग करके लौटे हैं। विदेशों में ट्रेनिंग को लेकर बजरंग ने कहा, “मैंने अमेरिका में ट्रेनिंग भी की। उसका अनुभव भी अच्छा रहा। काफी कुछ नया सीखा। ट्रेनिंग वैसे तो एक जैसी ही होती है। वहां का मौसम अच्छा है। भारत में इस समय गर्मी है तो यहां ट्रेनिंग करना मुश्किल हो जाता है।”

23 जून (रविवार) को विश्व ओलम्पिक दिवस मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन के बारे में पूछने पर राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहलवान ने कहा, “मैं तो अपनी तैयार कर रहा हूं। मेरे लिए तो ओलम्पिक डे तब होगा जब मैं ओलम्पिक पदक जीतूंगा। लेकिन खुशी होती है कि यह दिन मनाया जाता है क्योंकि ओलम्पिक काफी बड़ा खेल मंच है।”