समाचार ऑनलाइन – एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ‘ट्रिपल तलाक बिल’ कानून बना कर गर्व से अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं दूसरी ओर खुद उनकी पार्टी के नेता उक्त बिल पर बयानबाजी करके, पार्टी की किरकिरी करवा रहे हैं. हाल ही में ओडिशा से बीजेपी के विधायक बिष्णु सेठी ने बयान दिया है कि- “तीन तलाक के कारण मुस्लिम महिलाओं को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.” उनके इस विवादित बयान के बाद से जहाँ विपक्ष और विरोधियों को ऊँगली उठाने का मौका मिल गया, वहीं सरकार की भी किरकिरी हो रही है.
अपने विवादिन बयान पर अडिग हैं विधायक जी
विरोधियों के आवाज उठने के बाद भी विधायक बिष्णु सेठी यहीं नहीं माने. अपने बयान पर अडिग रहते हुए उन्होंने कहा कि कि, “मैंने कुछ गलत नहीं कहा है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में तीन तलाक नहीं है. पीड़िताए हमारी भी बेटी जैसी हैं. कई रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर हो जाती हैं.”
BJP Odisha MLA Bishnu Sethi on his remark 'Women who are given triple talaq are forced into prostitution':There is nothing wrong in what I said,even in Pakistan& Bangladesh they don't have triple talaq.Victims are our daughters too.There are many reports which point towards this pic.twitter.com/MfCwzZpcXr
— ANI (@ANI) August 2, 2019
कांग्रेस के विधायक ने तनाव बढ़ाने का लगाया आरोप
वहीं बिष्णु सेठी को आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस के विधायक नरसिंह मिश्रा ने कहा कि, “BJP एक सांप्रदायिक पार्टी है. वे एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ टिप्णियां करते रहते हैं. इन बयानों की वजह से राज्य में तनाव बढ़ता है.”
अब नए कानून के तहत 3 तलाक अपराध की श्रेणी में
अब इस कानून के अंतर्गत मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति द्वारा पत्नी को तीन तलाक देना, अपराध माना जाएगा. अगर ऐसा होता है तो पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
अडचनों के बाद कानून पास कराने में सफल रही सरकार
गौरतलब है कि तीन तलाक बिल आखिरकार संसद के दोनों सदनों से पास हो गया और इसे अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी भी मिल गई है. मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल में तीन तलाक बिल को संसद से पास कराने की जुगत की थी, लेकिन राज्यसभा में अल्पमत होने के कारण अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी. हालांकि इस बार भी सरकार राज्यसभा में अल्पमत में थी, लेकिन सरकार इस बार बिल को पास कराने में कामयाब रही.