मनपा आयुक्त सौरभ राव ने सभी विभागों हेतु जारी की गाइडलाइन , फिजूलखर्ची पर लगेगा अंकुश

पुणे : समाचार ऑनलाईन – पुणे मनपा प्रशासन ने फिजूलखर्ची रोककर आर्थिक अनुशासन लाने के लिए कड़े कदम उठाये हैं। इनमें टेंडर की अवधि निर्धारण, फंड क्लासिफिकेशन की शर्तों में बदलाव, अन्य विभागीय खर्च व वित्त वर्ष के आखिर में की जाने वाली खरीदी बंद करने का निर्णय लिया। इसके अलावा मनपा आयुक्त सौरभ राव ने टेंडर जारी करने से पहले एकाउंटिंग ब्रांच से अभिप्राय लेने की अनिवार्यता सहित विभिन्न बदलाव कर सभी विभागों को आर्थिक अनुशासन लाने का आदेश दिया। मनपा का बजट तैयार करते समय आखिरी तारीख तक चलने वाली टेंडर प्रक्रिया, क्लासिफिकेशन के प्रस्ताव व बिलों को अंतिम रूप देने में विभिन्न विभागों द्वारा देरी की जाती है। इसके कारण मनपा के आय-व्यय में तालमेल नहीं बैठता। इस वजह से मनपा आयुक्त ने 7 जून को सभी विभागों के लिए गाइडलाइन जारी की, जो इस प्रकार है

क्लासिफिकेशन से संबंधित सुझाव
* वित्त वर्ष की शुरुआत में अप्रैल से जून व आखिर में जनवरी से मार्च एंड तक क्लासिफिकेशन के प्रस्ताव पेश न किये जाएं।
* क्लासिफिकेशन के प्रस्ताव पेश करते समय यह सावधानी बरती जाए कि ङ्गकफ बजट में से ङ्गअफ बजट में क्लासिफिकेशन न हो।
* क्लासिफिकेशन करते समय प्रोजेक्ट का नाम दर्ज करना आवश्यक है।
* बजट में दर्ज प्रोजेक्ट को ही क्लासिफिकेशन उपलब्ध कराया जाए। अपवाद की स्थिति में अलग काम के लिए क्लासिफिकेशन की आवश्यकता होने पर मनपा आयुक्त से मंजूरी लेकर स्थायी समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा जाए।
* मनपा का फंड अन्य सरकारी विभागों (जैसे- पुलिस स्टेशन, पीडब्ल्यूडी, एमएसईबी आदि) के लिए खर्च या आवंटित न किया जाए। इसके लिए क्लासिफिकेशन भी न किया जाए। यदि मनपा को इसके लिए जरूरत महसूस होती है तो मनपा आयुक्त की मंजूरी से आगे की कार्यवाही की जाएगी।

टेंडर्स को लेकर सुझाव
* किसी भी प्रकार का टेंडर जारी करते समय संबधित ठेकेदार की बोली क्षमता (बिड कैपेसिटी) संबंधी पात्रता का समावेश किया जाए।
* कामकाज की वास्तविक प्रगति की समीक्षा कर जो कार्य अगले साल पूरे होंगे उनके लिए अगले वित्त वर्ष के बजट स्पिल में प्रावधान किया जाए। टेंडर जारी करते समय पिछले वर्ष जारी टेंडर का दायित्व जारी वर्ष के प्रावधान से कम कर शेष रकम का टेंडर जारी करने की सावधानी संबंधित विभाग को बरतनी होगी।
* हर साल सभी कार्यों के एस्टीमेंट्स जुलाई से पहले ही किये जाए और उनमें बजट में दर्ज कार्यों की प्राथमिकता का क्रम प्रावधान के अनुसार तय किया जाए। 50 प्रतिशत कार्यों के टेंडर हर साल सितंबर के आखिर तक जारी किए जाएं। साथ ही शेष कार्यों के टेंडरों की प्लानिंग इन्कम की समीक्षा कर की जाए।
* राजस्व व पूंजीगत कार्यों (रेवेन्यू एंड कैपिटल वर्क्स) के लिए बजट में जितना प्रावधान किया गया है, उतनी ही राशि का एस्टीमेट बनाकर टेंडर जारी करना उचित होगा। किसी भी स्थिति में प्रावधान से अधिक राशि का टेंडर जारी न किया जाए। साथ ही एक साल से अधिक अवधि का वक्त लेने वाली परियोजनाओं (फ्लाइओवर व उसके अनुरूप बड़े प्रोजेक्ट) के लिए निर्धारित प्रावधान के अनुसार रकम या अधिक से अधिक दोगुनी रकम का टेंडर जारी किया जाए।
* एस्टीमेट कमेटी की मंजूरी के बिना टेंडर जारी न किया जाए।
* कार्यपूर्ति के बाद तालिका में कालावधि के अनुसार काम की मेजरमेंट बुक तैयार कर बिल पेश करना आवश्यक है।