मुंबई हमले की बरसी…रतन टाटा के निकले आंसू, पोस्ट में लिखा- हम याद रखेंगे

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमला भारतीय गणतंत्र के इतिहास का सबसे घातक, सबसे त्रासद और सबसे अधिक सबक सिखाने वाला था।  आतंकवादियों ने मुंबई को लहूलुहान कर दिया था। कई जगहों पर गोलियां बरसाईं थीं। होटल ताज भी नशाना बना। कई घंटों तक यहां आतंकवादियों ने होटल में ढूंढ-ढूंढकर निर्दोषों को मौत के घाट उतारा था।

दस आतंकी पाकिस्तान के कराची से स्टीमर पर सवार होकर निकलते हैं, बड़े आराम से गेट ऑफ इंडिया के करीब मुंबई में दाखिल होते हैं और चार गुटों में बंटकर पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की तरफ बढ़ जाते हैं। एक गुट ताज पर कब्जा कर लेता है, दूसरा लीओपोल्ड कैफे और ओबराय होटल पर धावा बोलता है, तीसरा छबद हाउस में घुस जाता है और चौथा छत्रपति रेलवे स्टेशन पर पहुंचता है। वे जहा भी जाते हैं, खून की नदिया बहा देते हैं। बड़ी बर्बरता और क्रूरता से निर्दोष लोगों का कत्लेआम करते हैं। तीन दिनों तक शहर पर आतंक का राज रहता है। जब तक उनमें से नौ मारे जाते हैं और एक जिंदा पकड़ लिया जाता है, वे 180 लोगों को मौत के घाट उतार चुके थे। इस त्रासदी की कहानी बयान करने के लिए आंसू भी कम पड़ जाते हैं।

मुंबई हमलों की बरसी पर ताज होटल के पेरेंट ग्रुप टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने बेहद भावुक पोस्ट लिखी है। टाटा ने होटल ताज की एक तस्वीर शेयर करते हुए उस पर लिखा है ‘हमें याद है। आज से 12 साल पहले जो विनाश हुआ, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। जिन लोगों ने दुश्मन पर जीत पाने में मदद की, हम उनके बलिदान को हमेशा याद रखेंगे।’

हमलों में जिंदा पकड़े गए इकलौते आतंकी अजमल कसाब को जिन कॉन्स्टेबल तुकाराम ओम्बले ने पकड़ा था, उन्हें लोग नमन कर रहे हैं। ओम्बले आतंकवादियेां की गोली का शिकार हो गए थे। शहीदों में जॉइंट सीपी हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन समेत कई पुलिसकर्मी शामिल थे। एनएसजी और अन्य सुरक्षाबलों ने नौ आतंकवादियों को ढेर कर दिया था तथा अजमल आमिर कसाब नाम के आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया था जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई।