कास्ट – अक्षय कुमार, परिणति चोपड़ा, भाग्यश्री, एडवर्ड सोनेनब्लिक, मीर सरवर
डायरेक्टर: अनुराग सिंह
स्टार रेटिंग: 3पुणे : समाचार ऑनलाइन ( असित मंडल ) – अक्षय कुमार की मचअवेटेड फिल्म ‘केसरी’ होली के मौके पर रिलीज की गई। फिल्म 1897 में सारागढ़ी में लड़े गए एक ऐसे ही युद्ध की दास्तान है, जहां मात्र 21 सिख सैनिकों ने 10 हजार अफगानों का जम कर न सिर्फ लोहा लिया था बल्कि उनके छक्के छुड़ा दिए थे। केसरी में अक्षय हवलदार ईशर सिंह का किरदार निभा रहे हैं। इसमें परिणीति चोपड़ा भी उनके साथ नजर आ रही हैं।

कहानी –
गुलिस्तान फोर्ट पर तैनात हवलदार ईशर सिंह (अक्षय कुमार) ब्रिटिश राज की सेना में कार्यरत है। अफगानी सरगना (राकेश चतुर्वेदी ओम) के हाथों वह एक शादीशुदा औरत का सर कलम होने से बचाता है। सारागढ़ी आने के बाद ईशर को लगता है कि वहां के 21 सैनिकों में अनुशासन की कमी है। वह पहले सिपाहियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाता है और फिर उनका सच्चा लीडर बनकर उनमें बहादुरी का जज्बा भरता है। इसी बीच उन्हें पता चलता है कि अफगानी सरगना अफगानी पठानों की एक बड़ी फौज तैयार करके सारागढ़ी पर हमला करने वाला है। अंग्रेजी हुकूमत मदद न भेज पाने की सूरत में ईशर सिंह को उसके जवानों समेत किला छोड़कर भाग जाने की सलाह देती है, मगर ईशर सिंह को याद आ जाती है उस अंग्रेज मेजर की बात, जिसने कहा था कि तुम हिंदुस्तानी कायर हो, इसीलिए हमारे गुलाम हो। उस वक्त ईशर सिंह अपनी नौकरी, पैसे या अंग्रेज हुकूमत के लिए लड़ने के बजाय अपने गौरव के लिए शहीद होने का फैसला करता है और उसके इस फैसले में वो 21 जांबाज सिपाही अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार हो जाते हैं।
कमियां और मजबूती –
फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी लंबा था। उसमें ज्यादातर पार्ट ऐसे लग रहे थें, जैसे उन्हें जबरदस्ती डाला गया हो। फिल्म में बिना वजह कई सारे सीन्स भरे गए हैं, लेकिन फिर भी इससे अक्षय कुमार के किरदार ईशर सिंह के अलाव कोई कैरेक्टर उठ कर सामने नहीं आता है। फिल्म की कहानी के बारे में पहले से ही पता था कि इसमें 21 सिखों की सेना की टुकड़ी पर 10 हजार अफगानी हमला कर देते हैं, लेकिन फिल्म में ये पॉइंट इंटरवल से कुछ देर पहले ही आता है। ऐसे में लगता है कि शुरू का 1 घंटा काफी बर्बाद किया गया। फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको उबा सकता है।
असली कहानी फिल्म के सेकंड पार्ट से ही शुरू होती है, जिसमें सारागढ़ी का युद्ध दिखाया जाता है। इस बात के लिए मेकर्स की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने केसरी के सेकंड हाफ में कुछ और दिखाने की बजाए सिर्फ युद्ध दिखाया है। लेकिन फर्स्ट हाफ को 30 मिनट तक काटा जा सकता था, क्योंकि फिल्म के लिए वो बहुत भारी हो गया। फिल्म के सेकंड हाफ में युद्ध के सीन कमाल के थे। एक्शन कोरियोग्राफी बेहद अच्छी की गई है और एक्शन सीक्वेंसेज की बखूबी फिल्माया गया है।
एक्टिंग –
अक्षय कुमार उन एक्टर्स में शुमार हैं जो हर रोल में फिट हो जाते हैं। केसरी में अक्षय कुमार ने एक बार फिर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। सिख सैनिक के रोल में उन्होंने शानदार काम किया है। चाहे वो कॉमिक सीन हो, इमोशनल हो या एक्शन, अक्षय हर फ्रेम में जमे हैं. क्लाइमेक्स के एक्शन सीन्स में अक्षय कुमार ने जिस तरह से सैकड़ों अफगानियों को पटखनी दी है, वो काबिल-ए तारीफ है। ऐसा लगा मानो वो रोल कर नहीं रहे उसे जी रहे हों। परिणीति चोपड़ा के सीन्स बेहद कम हैं। वे सिर्फ अक्षय कुमार के ख्यालों में आती-जाती रही हैं। फिल्म के बाकी कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है।
डायरेक्शन –
निर्देशक अनुराग सिंह ने युद्ध पर आधारित इस फिल्म में जिस तरह ह्यूमर का इस्तेमाल किया है तारीफे काबिल है। और सबसे बड़ी बात ब्रिटिश इंडिया की फौज होने के बावजूद जिस तरह अनुराग ने उसमें आज के परिपेक्ष में देश प्रेम को पिरोया है, वह वाकई सराहनीय है। केसरी की सिनेमेटोग्राफी भी काफी खूबसूरत है। लेकिन आप सीन्स देखकर समझ जाएंगे कि इनमें ज्यादातर ग्रीन स्क्रीन थी। साथ ही ब्लास्ट के सीन के दौरान सीजीआई की खामियां भी साफ झलकती हैं। तलवार से मारने का सीन भी कई जगहों को नकली लगा। मेकर्स को वीएफएक्स पर थोड़ा और ध्यान देने की जरूरत थी। फिल्म की एडिटिंग काफी कमजोर थी और फर्स्ट हाफ का स्क्रीन प्ले कुछ खास नहीं लगा। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत अच्छा था। इसका टेक्सचर भी कमाल रहा।
एक्टिंग के अलावा बाकी सभी कमियों के बाद भी फिल्म आपको आखिर तक बांधे रखती है। 21 सिखों की बहादुरी और शहादत देखकर आपके आंखों में भी पानी आ जाएगा। फिल्म में एक्शन सीन देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे। फिल्म के आखिर में ‘तेरी मिट्टी’ गाना आपको देशभक्ति का अहसास करवाएगा।
ओवरऑल देखा जाए तो केसरी एक देशभक्ति से भरपूर फिल्म है, जिसमें एक्शन के साथ-साथ इमोशन्स भी हैं। पुणे समाचार की ओर से फिल्म ‘केसरी’ को 3 स्टार दिए जाते है।
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