मानदेय में कटौती के खिलाफ वाईसीएम की नर्सों का आंदोलन

काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन; विधायक महेश लांडगे के आश्वासन के बाद आंदोलन वापस
संवाददाता, पिंपरी। कोरोना के भीषण संकटकाल में अपनी जान को खतरे में डाल कर हजारों मरीजों की जान बचाने में मदद करने वा नर्सों को कोरोना वॉरियर्स कहा जा रहा है। कोरोना काल में नर्सों को स्थायी करने और उनका वेतन बढ़ाने के लिए कई घोषणाएं की गईं, लेकिन ये वादे पूरे नहीं हुए उल्टे इन नर्सों का मानदेय कम कर दिया गया। इससे नाराज  होकर पिंपरी चिंचवड़ मनपा के वाईसीएम हॉस्पिटल में 12 साल से मानदेय पर कार्यरत स्टाफ नर्स ने मंगलवार को आंदोलन किया।
इस आंदोलन में नर्सों ने काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। इसमे करीब 100 से 150 नर्सें शामिल हुई। मनपा की स्थायी सेवा में शामिल करने की मांग को लेकर की गई नारेबाजी से पूरा वाईसीएम परिसर गूंज उठा। उनके आंदोलन की खबर मिलते ही भाजपा के शहराध्यक्ष व विधायक महेश लांडगे यहां पहुंचे। उन्होंने नर्सों से चर्चा की और उन्हें स्थायी सेवा में शामिल कराने को लेकर प्रयास करने का आश्वासन दिया। प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। इसमें नगरसेवक तुषार हिंगे, नगरसेविका सुजाता पालांडे, वाईसीएम के अधिष्ठाता राजेंद्र वाबले, चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनायक पाटील शामिल हुए। विधायक के आश्वासन के बाद नर्सों ने अपना आंदोलन वापस लिया।
कोरोना काल में मनपा ने अगस्त 2020 में इन स्टाफ नर्सों को स्थायी रूप से समायोजित करने का निर्णय लिया। हालांकि, उन्हें अभी भी मानदेय पर भुगतान किया जा रहा है। कोरोना की विकट परिस्थितियों में काम करने के बावजूद उनका मानदेय बढ़ाने की बजाय कम कर दिया गया है। इसलिए, पिछले 12 वर्षों से ईमानदारी से सेवा करने वाली नर्सों ने आंदोलन की भूमिका अपनाई है। कोरोना के संकटकाल में ये नर्सें दिन-रात मरीजों की सेवा करती आई हैं, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया है। मनपा ने उनका मानदेय 2,000 रुपये कम करने का फैसला किया है। इससे नाराज नर्सों ने आज सुबह आंदोलन किया।
कोरोना की दोनों लहरों में बड़ी संख्या में कोरोना के मरीजों को पिंपरी मनपा के वाईसीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। वाईसीएम अस्पताल पिंपरी चिंचवड़ शहर में मनपा का सबसे बड़ा अस्पताल है। इसकी क्षमता 700 बेड की है। पिछले 12 साल से नर्सें मानदेय पर काम कर रही है। कोरोना काल में अस्पताल पर चिकित्सा सेवा पर काफी दबाव था। इस दौरान यहां के कर्मचारियों ने जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा की। मानदेय पर कार्यरत नर्सों को स्थायी कर्मचारियों के समान चिकित्सा सुविधाएं और अन्य वित्तीय लाभ नहीं दिए जाते हैं। उन्हें स्थायी सेवा में शामिल करने का प्रस्ताव सर्वसाधारण सभा में पारित किया गया है। हालांकि, प्रशासन की लेटलतीफी के कारण उन्हें अभी तक मनपा की सेवाओं में समायोजित नहीं किया गया है।