पिंपरी चिंचवड़ में आधे से ज्यादा कोरोना योद्धा दूसरे डोज से दूर

संवाददाता, पिंपरी। महामारी कोरोना से बचाव के लिए शुरू किए गए टीकाकरण में कोरोना योद्धा व फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई थी। हालांकि पुणे और पिंपरी चिंचवड़ में टीकों की किल्लत के चलते टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ गई है। इस बीच पिंपरी चिंचवड़ में आधे से ज्यादा कोरोना योद्धा व फ्रंटलाइन वर्कर्स कोरोना प्रतिबंध टीके के दूसरे डोज से दूर रहने की जानकारी सामने आई है। शहर में कोरोना योद्धा घोषित 34 हजार 844 कर्मचारियों को टीके के पहले डोज दिए गए थे। फरवरी और मार्च के बाद दो माह बीतने के बावजूद उनमें से मात्र 12 हजार 167 कर्मचारियों को ही दूसरा डोज दिया जा सका है। अभी 22 हजार 677 कोरोना योद्धा व फ्रंटलाइन वर्कर्स दूसरे डोज से वंचित हैं।
कोरोना काल में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों सहित पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर काम किया। उन सभी घटकों को प्रारंभिक अवस्था में कोरोना प्रतिबंध टीके की पहली खुराक देने के लिए तत्परता दिखाई गई। हालांकि दूसरी खुराक में ऐसी कोई तैयारी या प्राथमिकता नहीं दी गई। इतने सारे सरकारी कर्मचारियों, पुलिस अधिकारियों को दूसरी वैक्सीन के लिए कोशिश करनी पड़ी। इससे कम से कम कुछ हद तक उनका टीकाकरण पूरा हो चुका है। हालांकि, उनके परिवार के कई सदस्यों का टीकाकरण नहीं हुआ है। फ्रंटलाइन वर्कर्स के घर जाने के बाद वे अपनी पत्नियों, बच्चों और बुजुर्गों के संपर्क में आते हैं। इसलिए उनके कोरोना से संक्रमित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।नतीजतन, कोरोनावायरस उनके परिवारों में फैल रहा है, जिससे कई लोग संक्रमित हो रहे हैं।
नागरिकों की सुरक्षा के लिए दिन-रात काम कर रहे इन प्रिंटलाइन वर्कर्स को एक तरफ कोरोना से लड़ना पड़ रहा है और दूसरी तरफ परिवार में किसी को यह महामारी न हो इसके लिए जूझना पड़ रहा है। विगत सवा साल से सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोरोना योद्धा महामारी से लड़ रहे हैं। कोरोना के पहले चरण में कई कोरोना योद्धा व फ्रंटलाइन वर्कर्स संक्रमित हुए कइयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस साल फरवरी से महामारी की दूसरी लहर आयी है। इसका मुकाबला करने के लिए कोरोना योद्धा व फ्रंटलाइन वर्कर्स फिर से जुट गए। जनवरी से कोरोना प्रतिबंध टीकाकरण शुरू हुआ। इसमें उन्हें प्राथमिकता दी गई। मगर पहला डोज देने के बाद आधे से ज्यादा कोरोना योद्धा व फ्रंटलाइन वर्कर्स दूसरे डोज से वंचित ही हैं। हालांकि वे इसकी परवाह किये बिना अपनी जान की बाजी लगाकर महामारी की रोकथाम के लिए बस डटे हुए हैं।