और मुश्किल…पेट्रोल-डीजल की कीमत में फिर वृद्धि के आसार 

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : कोरोनोकाल में महंगाई आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। रोजगार छीन जाने के कारण लोग पैसे-पैसे को मोहताज हो गए हैं। घऱ् का बजट बिगड़ चुका है। कमोबेश सभी व्यक्ति के पास छोटे-बड़े वाहन हैं, मगर ईंधन भरवाने के लिए पैसे नहीं। ऊपर से संकेत मिल रहे हैं कि एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि हो सकती है।

क्रेडिट सुईस की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि आने वाले दिनों में लोगों को एक और झटका लग सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत की वजह से अब कंपनियां मार्केटिंग मार्जिन सुधारने पर ध्यान देंगी। अगर तेल कंपनियां पना मार्जिन वित्त वर्ष 2019-20 के स्तर पर बनाए रखना चाहती हैं तो उन्हें डीजल की खुदरा कीमत में 2.8 से तीन रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल की कीमत में 5.5 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करनी होगी।

भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। खपत का 85 फीसदी हिस्सा भारत आयात के जरिए पूरा करता है। इसलिए जब भी क्रूड सस्ता होता है, तो भारत को इसका फायदा होता है। तेल सस्ता होने की स्थिति में आयात में कमी नहीं पड़ती लेकिन भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड कम होता है। इससे रुपये को फायदा होता है क्योंकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में मजबूती आती है, जिससे महंगाई भी काबू में आ जाती है।

भारत की निर्भरता ब्रेंट क्रूड की सप्लाई पर है। अगर ब्रेंट क्रूड की कीमत में एक डॉलर की कमी आती है, तो देश में पेट्रोल सस्ता होता है। कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की कमी का सीधा-सीधा मतलब है पेट्रोल जैसे प्रॉडक्ट्स के दाम में 50 पैसे की कमी। वहीं अगर क्रूड के दाम एक डॉलर बढ़ते हैं तो पेट्रोल-डीजल के भाव में 50 पैसे की तेजी आना तय माना जाता है। प्रतिदिन सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। सुबह छह बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं।

पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है, क्योंकि डीलर स्वयं के मार्जिन जोड़ने के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है।