Monsoon Session | कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर जमकर बरसे छगन भुजबल, कही ‘ये’ बातें

पुणे समाचार (Punesamachar Online) –  केंद्र सरकार (Monsoon Session) द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसानों का आंदोलन (Monsoon Session) जारी है। जब आंदोलन चल रहा था, राज्य सरकार ने मानसून सत्र में केंद्र के कृषि कानूनों को चुनौती देते हुए विधानसभा में तीन कृषि विधेयक पेश किए। विधेयक पर चर्चा करते हुए राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने मोदी सरकार पर सवाल उठाये है। भुजबल ने किसान आंदोलन में केंद्र की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि दो-चार दिन का आंदोलन कितना कष्टप्रद है। फिर यह आंदोलन आठ महीने से चल रहा है। क्या वे दुश्मन हैं, क्या वे पाकिस्तान से हैं?

केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को लागू करने के बाद ठाकरे सरकार ने विधानसभा में तीन कृषि विधेयक पेश किए। बिल पर बोलते हुए, खाद्य और आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि दिल्ली में लाखों किसान विरोध कर रहे हैं। पूरी दुनिया ने इसे देखा और अभी भी देख रहा है। आंदोलन स्थल पर कोरोना व अन्य बीमारियों से लोग प्रभावित भी हुए। अगर किसी की मौत भी हो जाती है तो हम संवेदना व्यक्त करते हैं। हालांकि, 200 से अधिक किसान मारे गए। लेकिन, दुर्भाग्य से मंत्री आते थे, चर्चा करते थे और निकल जाते है। किसानों को मिलने के लिए बोले और फिर उनके ही रास्ते में कील ठोक दी गई।

भुजबल ने कहा- इस देश में खाना नहीं था, मैंने यही देखा है। अमेरिका से आते लाल गेहूं देखा, खाया भी। स्व. वसंतराव नाईक ने यह घोषणा की। उन्होंने एक कृषि क्रांति लाई। यह यूपीए सरकार तक जारी रहा। गारंटी को दोगुना या तीन गुना किया गया था। किसान इतने बढ़ गए हैं कि इस देश ने 1.5 अरब लोगों की भूख को संतुष्ट करके 25 देशों की खाद्य जरूरतों को पूरा किया है।

कोरोन में हर कोई सैनिटाइज़र पर काम कर रहा था। लेकिन, किसान अपने परिवार के साथ खेतों में काम कर रहा था। उसने कोरोना नहीं देखा, उसने बीमारी नहीं देखी। उसने खाना बनाया। हम दूसरों को कोरोना योद्धा कहते हैं, किसान भी कोरोना योद्धा हैं। प्रधानमंत्री मुफ्त अनाज देते हैं, लेकिन जो किसान इसे उगाता है उसका क्या गुनाह है। उन्होंने केवल इतना कहा कि ये कानून अन्यायपूर्ण हैं। तो कानून क्यों? कई उद्योगपतियों ने भी तैयारी की। अब यह सारा प्रबंधन एक या दो लोगों के हाथ में होगा।